आठ वर्ष पूर्व होने पर अब तक 46.25 करोड़ खुले जनधन खाते, जमा हुये 1.74 लाख करोड़

नयी दिल्ली : सरकार ने प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमलेडीवाई) के पात्र लाभार्थियों को सूक्ष्म बीमा योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) के तहत कवर करने की घोषणा करते हुये आज कहा कि अब तक जनधन योजना के तहत 46.25 करोड़ खातें खुल चुके हैं और इन खातों […]

आठ वर्ष पूर्व होने पर अब तक 46.25 करोड़ खुले जनधन खाते, जमा हुये 1.74 लाख करोड़
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नयी दिल्ली : सरकार ने प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमलेडीवाई) के पात्र लाभार्थियों को सूक्ष्म बीमा योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) के तहत कवर करने की घोषणा करते हुये आज कहा कि अब तक जनधन योजना के तहत 46.25 करोड़ खातें खुल चुके हैं और इन खातों में 1.74 लाख करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं।
पीएमजेडीवाई के आज आठ वर्ष पूर्ण होने के मौके पर सरकार ने कहा कि इसको लेकर बैंकों को पहले ही सूचित किया जा चुका है और अब पात्र जनधन खाताधारकों को सूक्ष्म बीमा कवर किया जायेगा। देशभर में संबंधित बुनियादी ढांचा तैयार कर पीएमजेडीवाई खाताधारकों के बीच रुपे डेबिट कार्ड के उपयोग सहित डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के साथ ही फ्लेक्सी-आवर्ती जमा आदि जैसे माइक्रो निवेश और माइक्रो-क्रेडिट तक पीएमजेडीवाई खाताधारकों की पहुंच को बेहतर बनाने की तैयारी चल रही है।
केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस मौके पर कहा कि वित्तीय समावेशन की अपनी पहलों के जरिए वित्त मंत्रालय हाशिए पर रहने वाले और अब तक सामाजिक-आर्थिक रूप से उपेक्षित वर्गों का वित्तीय समावेशन करने और उन्हें सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा ‘‘ वित्तीय समावेशन के माध्यम से हम देश में एक समान और समावेशी विकास को हासिल कर सकते हैं। वित्तीय समावेशन का मतलब है- कमजोर समूहों जैसे निम्न आय वर्ग और गरीब वर्ग, जिनकी सबसे बुनियादी बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच नहीं है, उन्हें समय पर किफायती दर पर उचित वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराना।’’ उन्होंने कहा कि पीएमजेडीवाई इस प्रतिबद्धता की दिशा में एक अहम पहल है, जो वित्तीय समावेशन से जुड़ी दुनिया की सबसे बड़ी पहलों में से एक है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिए अपने संबोधन में प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) की घोषणा की थी। 28 अगस्त को इस योजना की शुरुआत करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस मौके को गरीबों की एक दुष्चक्र से मुक्ति का उत्सव कहा था।
इस वर्ष 10 अगस्त तक पीएमजेडीवाई खातों की कुल संख्या: 46.25 करोड़ थी जिसमें से 55.59 फीसदी (25.71 करोड़) जन-धन खाताधारक महिलाएं हैं और 66.79 फीसदी (30.89 करोड़) जन धन खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में हैं। इस योजना के पहले वर्ष के दौरान 17.90 करोड़ पीएमजेडीवाई खाते खोले गए। पीएमजेडीवाई खातों की संख्या मार्च 2015 में 14.72 करोड़ से तीन गुना बढ़कर 10 अगस्त 2022 तक 46.25 करोड़ हो गई है जो वित्तीय समावेशन कार्यक्रम की दिशा में यह एक उल्लेखनीय यात्रा है।
आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुसार, यदि किसी पीएमजेडीवाई खाते में दो साल की अवधि में कोई ग्राहक लेनदेन नहीं करता है तो उस खाते को निष्क्रिय माना जाता है। अगस्त 2022 में कुल 46.25 करोड़ पीएमजेडीवाई खातों में से 37.57 करोड़ खाते 81.2 प्रतिशत चालू हैं। केवल 8.2 प्रतिशत पीएमजेडीवाई खाते शून्य शेष वाले खाते हैं। पीएमजेडीवाई खातों में कुल जमा शेष राशि 1,73,954 करोड़ रुपये है। इन खातों में 2.58 गुना वृद्धि के साथ इनमें जमा होने वाली धनराशि में अगस्त 2015 की तुलना में अगस्त 2022 में लगभग 7.60 गुना वृद्धि हुई है। हर जनधन खाते में औसतन 3,761 रुपये जमा है। अगस्त 2015 की तुलना में हर खाते में औसत जमा राशि में 2.9 गुना से अधिक बढ़ोतरी हुई है।
पीएमजेडीवाई खाताधारकों को जारी किए गए रुपे कार्ड की कुल संख्या: 31.94 करोड़ है। समय के साथ रुपे कार्डों की संख्या और उनके उपयोग में बढ़ोतरी हुई है।
देश में बैंक शाखाओं, एटीएम, बैंक मित्रों, डाकघरों आदि जैसे बैंकिंग टच प्वाइंट्स का पता लगाने को एक नागरिक केंद्रित प्लेटफार्म प्रदान करने के लिए मोबाइल एप्लिकेशन जनधन दर्शक ऐप का शुभारंभ किया गया। इस ऐप पर आठ लाख से अधिक बैंकिंग टच प्वाइंट्स की मैंिपग की गई है। इस ऐप का उपयोग उन गांवों की पहचान करने के लिए भी किया जा रहा है, जहां 5 किमी के भीतर बैंकिंग टच प्वाइंट्स सेवा नहीं है। इन चिन्हित गांवों को संबंधित एसएलबीसी द्वारा बैंकिंग आउटलेट खोलने के लिए विभिन्न बैंकों को आवंटित किया जाता है। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप बैंकिंग सेवा से वंचित रहने वाले गांवों की संख्या में काफी कमी आई है।
बैंकों ने बताया है कि करीब 5.4 करोड़ पीएमजेडीवाई खाताधारक विभिन्न योजनाओं के तहत सरकार से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) प्राप्त करते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि पात्र लाभार्थियों को उनका डीबीटी समय पर प्राप्त हो, विभाग डीबीटी मिशन, एनपीसीआई, बैंकों और कई अन्य मंत्रालयों के साथ परामर्श कर डीबीटी की राह में आनेवाली अड़चनों के टाले जा सकने वाले कारणों की पहचान करने में सक्रिय भूमिका निभाता है।
पीएमजेडीवाई के तहत 31.94 करोड़ रुपे डेबिट कार्ड जारी करने के साथ ही, जून 2022 तक 61.69 लाख पीओएस/एमपीओएस मशीनें लगाई गईं और यूपीआई जैसी मोबाइल आधारित भुगतान प्रणाली की शुरुआत के साथ, डिजिटल लेनदेन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2016-17 में 978 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 में 7,195 करोड़ हो गई है। यूपीआई वित्तीय लेनदेन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2016-17 में 1.79 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 में 4,596 करोड़ हो गई है। इसी प्रकार, पीओएस और ई-कॉमर्स में रुपे कार्ड लेनदेन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2016-17 में 28.28 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 में 151.64 करोड़ हो गई है।