गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु का महत्व जानिए और पूजा की विधि जानिए |
हिन्दू धर्म में गुरु का स्थान सबसे ऊपर रखा गया है। शास्त्रों के मुताबिक हर साल आषाढ़ पूर्णिमा पर गुरु पर्व मनाया जाता है, इसे गुरु पूर्णिमा कहते हैं। धर्म ग्रंथों में गुरु के महीमा का बखान कई रूप में किया गया है। लोग गुरु के प्रति आभार को व्यक्त करने के लिए इस दिन को मानते हैं। क्योंकि गुरु ही शिष्य का मार्गदर्शन करते हैं। उन्हीं के दिखाए मार्ग पर चल कर शिष्य अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करता है।
गुरु पूर्णिमा का क्या महत्व है शास्त्रों में ?
शास्त्रों के मुताबिक गुरु के बिना ज्ञान और मोक्ष दोनों ही प्राप्त नहीं हो पता। इसलिए शास्त्रों में गुरु का स्थान सबसे ऊपर रखा गया है। गुरु पूर्णिमा पर महर्षि वेदव्यास जी का भी जन्म हुआ था। गुरु पूर्णिमा से बुद्ध का भी खास संबंध है। बौद्ध धर्म के अनुयायियों का मानना है कि गुरु पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध ने भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के सारनाथ नाम की जगह पर अपना पहला उपदेश दिया था।
गुरु पूर्णिमा का सही मुहूर्त
गुरु पूर्णिमा के दिन ऋषि वेद व्यास जी की जयंती है। गुरु पूर्णिमा हिंदू महीने के आषाढ़ की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस दिन सुबह 05:27 बजे से सुबह 07:12 बजे तक और सुबह 08:56 बजे से सुबह 10:41 बजे तक है। उसके बाद दोपहर में 02:10 बजे से 03:54 बजे तक शुभ मुहूर्त है।
पूजा की विधि
इसे लेकर पंडित अजय कुमार पांडेय ने बताया कि गुरु की पुर्जा कैसे की जाती है। इस दिन अपने गुरु की प्रतिमा की पूजा कर उसपर पुष्प अर्पित करें। मौसम में मिलने वाले सभी फल से गुरु को भोग लगाएं। इसके बाद धूप दीप से उनकी पूजा करें। फिर अपने मन में गुरु का ध्यान करें।
रिपोर्ट- सान्या राज पाण्डेय