कम उम्र में प्यार करना ,बनजाता है घातक |बच्चो को माँ-बाप की लेनी चाहिए सलाह
बाल कल्याण समिति की पूर्व अध्यक्ष बीना शर्मा कहती हैं कि कम उम्र के कुछ बच्चों में प्यार जैसे रिश्ते पनपना स्वाभाविक है।
असल समस्या यह है कि माता-पिता अपने बच्चों के साथ ज्यादा समय नहीं बिताते और बच्चे पर पहले के मुकाबले कम ध्यान देते हैं। बच्चे को टीनएज में पहुंचने पर उसे डांटा ज्यादा जाता है और समझाया नहीं जाता।
यह वह समय होता है, जब लड़की या लड़के के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते रहते हैं। इसकी वजह से उनके रहन-सहन और सोच में बदलाव आता है।
कई बार ऐसी परिस्थितियां बन जाती हैं, जो लड़की या लड़के को एक गलत अंजाम की ओर ले जाती हैं।
बीना शर्मा कहती हैं कि आज जिस तरह का समाज बन रहा है, उसमें सोशल मीडिया और इंटरनेट पर कोई लगाम नहीं है। टीनएजर्स में गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड होने की बात गर्व से बताई जाती है।
किसके कितने बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड रहे हैं, किसका ब्रेकअप, किसका पैच-अप और कहां नए रिश्तो के किस्सों की शुरुआत हुई है, यह टीनएजर्स और युवाओं के बीच बातचीत का सबसे अहम विषय है।
लेकिन यही दोस्तियां कब खतरनाक मोड़ ले लेती हैं, इस बारे में कोई नहीं सोचता। न बच्चे, न माता-पिता।
दिल्ली मर्डर जैसे मामले के बाद सभी पेरेंट्स के लिए समझना जरूरी है कि टीनएज रिलेशनशिप इतनी घातक कब और क्यों हो जाती है।
अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर तीन में से एक नाबालिग लड़की को रिलेशनशिप में मारपीट, गाली-गलौज या इमोशनल टॉर्चर और ब्लैकमेल होना पड़ता है।
इसके अलावा कई टीनएज लड़कियां ऐसी हैं, जिन्हें धमकी, अपमान, भद्दे मैसेज, अकेलापन और लगातार पीछा करने जैसी चीजेें भी सहनी पड़ती हैं।
जर्नल पीडियाट्रिक्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, नियंत्रण के बहार हो चुके रिश्ते की वजह से टीनएजर्स को ड्रग्स इस्तेमाल करने की लत के साथ-साथ मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जो उनकी जिंदगी खराब कर सकती हैं।
एंटोनियो के मुताबिक अगर कोई नाबालिग एक रिश्ते से दूसरे रिश्ते में जाता है तो हो सकता है फिर से वही हालात पैदा हो जाएं, जैसे पहले थे।
ऐसे में कोशिश करनी चाहिए कि नया रिश्ता शुरू करने से पहले कुछ समय के लिए ठहरें, सोचें और तभी नई शुरुआत करें।
स्टडी के मुताबिक लड़के या लड़कियां खराब रोमांटिक रिलेशनशिप से बाहर आने के बावजूद गलतियां दोहराते हैं और नए रिश्ते में भी वही मुसीबते झेलते हैं और फिर ऐसे ही रिश्ते हिंसक हो जाते हैं, जिससे वे गलत इन्सान के साथ शारीरिक सम्बन्ध, नशा करने की लत और डिप्रेशन में डूबते हैं।
मनोचिकित्षक कहते हैं कि जब लड़की की पढ़ाई-लिखाई में गिरावट आए और उसके नंबर कम आने लगें तो समझिए कि लड़की अब्यूजिव रिलेशनशिप में है। उसका पार्टनर लगातार उसके आने-जाने पर नजर रखेगा और बिना वजह जलन करेगा।
वह हमेशा जानना चाहेगा कि उसकी गर्लफ्रेंड कहां है और बार-बार गुस्सा दिखाने की कोशिश करेगा। वह पूछेगा कि कल रात तुम कहां थी… तुमने मेरे फोन का जवाब क्यों नहीं दिया… वह उसे ऐसे कंट्रोल करेगा। उस पर हावी होने की कोशिश करेगा। जबकि लड़की अपने पार्टनर से बात नहीं करना चाहेगी।
कई बार कम उम्र में रिलेशनशिप का बुरा असर पड़ता है। एक रिसर्च के मुताबिक, कई बार टीनएजर्स को रोमांटिक रिलेशनशिप के दौरान अनचाही सेक्शुअल एक्टिविटी, हिंसक बर्ताव, गाली-गलौज और मारपीट तक झेलनी पड़ती है।
यह बर्ताव लड़कियों के मुकाबले लड़कों में ज्यादा देखा जाता है। इसमें पार्टनर का बात-बात पर अपमान करना, धमकाना और खिंचाई करना जैसी चीजें शामिल होती हैं।
इन दिनों ये सब चीजें ऑनलाइन हो रही हैं। पार्टनर की प्राइवेट फोटोज, वीडियो और जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर कर दी जाती हैं। यहां तक कि लड़के या लड़कियों में पार्टनर पर हक जताने का पजेसिव बर्ताव देखने को भी मिलता है।
हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने पॉक्सो के एक मामले में एक युवक को दो महीने की जमानत देते हुए कहा कि किशोर मनोविज्ञान और किशोर प्रेम को अदालतों द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता और जजों को ऐसे मामलों में जमानत याचिकाओं का निपटारा करते समय सावधानी बरतनी होगी।
जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि कानून की नजर में भले ही नाबालिग की सहमति की कोई अहमियत नहीं है, लेकिन अदालत को किशोर जोड़ों के मामलों में ‘एक दूजे के साथ जीवन जीने की चाहत’ को भी ध्यान में रखना होगा और उनसे 'अपराधियों की तरह नहीं निपटा जाना चाहिए।
अदालत ने मौजूदा मामले में इस बात का संज्ञान लिया कि पीड़ित और आरोपी की उम्र घटना के वक्त क्रमशः 16 और 19 वर्ष की थी और अब वे इसी महीने के अंत में शादी कर रहे हैं। अदालत ने युवक को दो महीने के लिए जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया।
वहीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने एक और मामले में यह भी कहा है कि सहमति के बिना इंटरनेट मीडिया पर आपत्तिजनक तस्वीरें-वीडियो पोस्ट करना अपराध है और इस क्राइम के बारे में किशोरों को एजुकेट किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने कहा- अदालत के समक्ष बड़े पैमाने पर यौन उत्पीड़न के ऐसे मामले आते हैं, जिसमें आरोप लगाया जाता है कि आपत्तिजनक फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करने की धमकी देकर यौन शोषण किया गया।
कुल मिलाकर, हर माता-पिता को बड़े हो रहे बच्चों को सेक्स एजुकेशन जरूर देना चाहिए और साथ ही उनसे दोस्ताना बर्ताव करना चाहिए, ताकि वो आपसे कोई भी बात न छिपाएं और समस्या होने पर आपको बता सकें।
रिपोर्ट -सान्या राज पाण्डेय