जान लीजिये - विपक्ष का "अविश्वास प्रस्ताव" का पॉलिटिक्स, किसके पास कितने मत
पटना डेस्क : संसद में विपक्ष के द्वारा बहुत हंगामा किया जा रहा है. दरअसल विपक्ष चाहता है कि, 3 मई को जो हिंसा मणिपुर में हुआ है. उस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में बोले. हालांकि, इस पर गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत कई बड़े नेता ने बार-बार सदन में खुलकर बात की है. लेकिन विपक्ष नरेंद्र मोदी से जवाब मांग रहा है. इसी वजह से विपक्षी गठबंधन INDIA की तरफ से कांग्रेस ने बुधवार को सदन में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया. वह चाहते हैं कि, पीएम मोदी मणिपुर हिंसा पर कुछ बोले उनका कहना है कि पीएम बाहर तो इस पर बात कर रहे हैं. लेकिन वह सदन में कुछ भी नहीं बोल रहे हैं.
हालांकि, एनडीए की संख्या को देखते हुए. इस प्रस्ताव का नतीजा तो पहले से तय है. लेकिन एनडीए की कोशिश है कि, इस बार विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया को और भी तगड़े झटके दिया जा सके. इससे पहले मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में जुलाई, 2018 में कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाया था. तब इस अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में सिर्फ 126 वोट पड़े थे, जबकि इसके खिलाफ 325 सांसदों ने मत दिया था. लेकिन, इस बार सदन का संख्या बल एनडीए के पक्ष में ज्यादा है. इस बार एनडीए के पास अपने 332 सांसदों का समर्थन है. विपक्षी गठबंधन से बाहर खड़े दलों का अगर समर्थन मिलता है तो यह संख्या और बढ़ सकती है.
कांग्रेस के साथ बने विपक्षी गठबंधन के साथ लगभग 153 सांसद हैं. जबकि दोनों गठबंधनों से दूर दलों के पास 53 सांसद हैं. जबकि पांच सीटें खाली हैं. इनमें शिवसेना और एनसीपी को लेकर अभी स्थिति साफ नहीं है. ये दोनों दल आपस में ही बंट चुके हैं. ऐसे में व्हिप जारी होने पर इन दलों के दोनों खेमे कैसे मतदान करेंगे साफ नहीं है.
रिपोर्ट : कुमार कौशिक