मकर संक्रांति पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री खायेंगे भागलपुर का कतरनी चूड़ा, जानें खासियत और इतिहास

मकर संक्रांति पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री खायेंगे भागलपुर का कतरनी चूड़ा, जानें खासियत और इतिहास

भारत के साथ-साथ विदेशों में भागलपुर का कतरनी चूड़ा प्रसिद्ध है। अपने अंदर करीब 150 सालों की विरासत संजोये है। स्वाद के साथ-साथ कतरनी चूड़ा अपनी अलग खुशबू के लिये भी जाना जाता है। देश के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कतरनी चूड़ा का स्वाद लेंगे। करीब 3 क्वींटल कतरनी चूड़ा दिल्ली भेजा गया है। आत्मा की टीम विक्रमशिला एक्सप्रेस ट्रेन से रवाना हो गई है। चूड़ा पहले बिहार भवन भेजा जायेगा। फिर वहां से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य गणमान्य लोगों को उपहार के रूप में भेंट किया जायेगा। खास यह है कि चूड़ा के लिये कतरनी धान जैविक विधि से उपजाया गया है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय और जिला कृषि विभाग कतरनी को विश्व स्तर पर प्रसिद्धि दिलाने के लिये लगातार प्रयास कर रही है। कतरनी को बढ़ावा देने के लिये जीआई टैग भी मिल चुका है। 

कतरनी को विश्व स्तर पर पहचान मिल सके, इसके लिये कृषि विभाग की टीम लगातार काम कर रही है। नोडल प्रभारी और विभाग के कर्मचारियों का एक टीम गठन किया गया है। भागलपुर कृषि विभाग के आत्मा से उप महानिदेशक प्रभात सिंह और लेखापाल प्रेम कुमार सिंह खुद दिल्ली रवाना हो गये हैं। वो वहां बिहार भवन पहुंचेंगे। वहीं से कतरनी चूड़ा को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेंट करने के बाद दूसरे महत्वपूर्ण लोगों के पास जायेंगे। उन्हे भेंट में खुशबूदार कतरनी चूड़ा देंगे। 

यूं तो भागलपुर में कई इलाकों में कतरनी धान की खेती होती है। हालांकि जगदीशपुर और सुलतानगंज कतरनी धान की खेती के लिये प्रसिद्ध है। भागलपुर के अलावा मुंगेर, बांका और जमुई के कुछ इलाकों में भी कतरनी की खेती है। मुंगेर के तारापुर, बांका के रजौन, अमरपुर और जमुई के कुछ खास क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है। यहां पर अधिकतर किसान अलग-अलग कारणों से कतरनी की खेती करना छोड़ चुके हैं। जबकि यहां पर कतरनी की खेती बेहतर हो सकती है। वर्तमान में भागलपुर में 496 एकड़ में कतरनी की खेती होती है। खासकर जगदीशपुर और सुलतानगंज क्षेत्रों में प्रति एकड़ 16 क्विंटल के हिसाब से 7936 क्विंटल कतरनी धान का उत्पादन होता है। 

जिन कुछ खास विशिष्टताओं के कारण भागलपुर और अंग प्रदेश की पहचान देश-विदेश में है उसमें कतरनी चावल और चूड़ा खास है। दुधिया रंग की छोटी-छोटी मोतियों से दाने देखने में जितना सुंदर है उतना ही सुगंधित। भागलपुर की मंडी से कतरनी चूड़ा दिल्ली, पटना, बनारस, लखनऊ सहित दक्षिण भारत के कई शहरों में भी भेजा जाता है। मकर संक्रांति में अंग क्षेत्र का कतरनी बिहार का पसंदीदा सौगात माना जाता है
अंग क्षेत्र के कतरनी की खुशबू की चर्चा रामायण, बौद्ध ग्रंथ और इतिहास के किताबों में भी है। इतिहासकारों की मानें तो कतरनी मगध सम्राट की थाली में भी परोसा जाता था। इतिहासकार बताते हैं कि मगध सम्राट बिम्बिसार के लिये कतरनी चावल और चूड़ा ले जाया जाता था।