बिहार की बेटी ने किया कमाल, अभिनेत्री फलक खान की फिल्म 'चम्पारण मटन 'ऑस्कर की दौड़ में
पटना डेस्क : भारत का फिल्म उद्योग बहुत बड़ा है और इससे जुड़े हर कोई अपने जीवन में एक बार ऑस्कर अवार्ड से सम्मानित होना चाहता है. उसके लिए वह दिन-रात मेहनत करते हैं, ताकि उन्हें भी एक बार ऑस्कर अवार्ड से सम्मानित किया जाए. इसके लिए हर अभिनेता और अभिनेत्री दिन रात मेहनत करते हैं. फिल्म उद्योग में ऑस्कर मिलना अपने आप में बहुत बड़ी ख्याति है. इसको हर लोग पाना चाहता है. ऑस्कर अवॉर्ड हर श्रेणी में अच्छे फिल्मों को सम्मानित करता है. जिससे उससे उस देश और उन कलाकारों का नाम भी इतिहास के पन्नों में दर्ज कर ली जाती है. ऐसे में ही एक फिल्म आई है "चंपारण मटन" जिसमें एक बिहार की बेटी फलक खान बतौर अभिनेत्री काम की है. उस फिल्म को भी ऑस्कर की दौड़ में शामिल कर लिया गया है.
दरअसल, चम्पारण मटन में अभिनय से जलवा बिखेर रही फलक खान मुजफ्फरपुर के ब्रह्मपुरा की रहने वाली है.फलक खान अभिनीत फिल्म ‘चंपारण मटन’ ऑस्कर की दौड़ में शामिल हुई है. फिल्म ऑस्कर के स्टूडेंट एकेडमी अवार्ड 2023 के सेमीफाइनल राउंड में पहुंच गई है. स्टूडेंट एकेडमी अवार्ड फिल्म प्रशिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों से फिल्म बनाना पढ़ रहे छात्रों की फिल्मों को दिया जाता है. यह ऑस्कर की ही शाखा है. यह अवार्ड 1972 से दिए जा रहे हैं. इस बार इस अवार्ड के लिए दुनिया भर के फिल्म प्रशिक्षण संस्थानों की 1700 से अधिक फिल्मों का नामांकन हुआ था, जिसमें चम्पारण मटन भी शामिल है. इसका निर्देशन फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे के रंजन कुमार ने किया है.
आधे घंटे की फिल्म चम्पारण मटन बिहार के लोगों की अपने रिश्तों के प्रति ईमानदारी और किसी भी हाल में हार न मानने की कहानी है. इस फिल्म कि कहानी लॉकडाउन के बाद नौकरी छूट जाने पर गांव लौटने और पत्नी की इच्छा पूरी करने की कोशिश में लगे एक परिवार के इर्द-गिर्द बुनी गई है. कहानी की संवेदनशीलता हर किसी के दिल को छू रही है. फलक खान की फिल्म नैरेटिव कैटेगरी में सेमीफाइनल में चुनी गई. 16 फिल्मों से मुकाबला करेगी. इस श्रेणी में अर्जेटिना, जर्मनी, बेल्जियम जैसे देशों की फिल्में चुनी गई हैं. चंपारण मटन नैरेटिव समेत अन्य तीन श्रेणियों में शामिल भारत की एकमात्र फिल्म है. फलक के पिता और माता दो ही एलएन मिश्रा मैनेजमेंट कॉलेज में प्रोफेसर हैं. बेटी की इस उपलब्धि से वो और बिहार का हर कोई फलक खान गर्व पर कर रहा है.
रिपोर्ट : कुमार कौशिक