बलिया की एक प्रेम कहानी, 10 साल बाद मिला पति तो बहने लगे आंसुओं के सैलाब

बलिया की एक प्रेम कहानी, 10 साल बाद मिला पति तो बहने लगे आंसुओं के सैलाब

पटना डेस्क : पति-पत्नी का वो रिश्ता ही श्रेष्ठ है. जिसमें प्रेम, त्याग, समर्पण, संतुष्टि और संस्कार ये पांच तत्व मौजूद हों. अगर इन पांच तत्वों में से कोई एक भी अगर नहीं हो तो रिश्ता फिर रिश्ता नहीं रह जाता, महज एक समझौता बन जाता है. गृहस्थी कोई समझौता नहीं हो सकती. इसमें मानवीय भावों की उपस्थिति अनिवार्य है. पति पत्नी के इस असीम प्यार की एक दास्तां देखने को मिली है बलिया से. जहां महिला को अचानक उसका 10 साल से लापता पति मिल गया पति को भिखारी जैसी हालत में देखकर महिला भावुक होकर उससे लिपट कर रोने लगी. वह पति के पास जाकर बैठ गई. अपने हाथों से उसके बाल और चेहरे को साफ करने लगी. इस दौरान महिला बार-बार पति से पूछती रही- आप ठीक तो है न फिर महिला पति को अपना दुपट्‌टा ओढ़ाती है. इसके बाद बेटे को फोन करके कहती है बाबू पापा मिल गए हैं. घर से एक कुर्ता लेते आओ. इस पूरी घटना का वीडियो भी सामने आया है. मामला शुक्रवार दोपहर का जिला अस्पताल के बाहर का है.

महिला का नाम जानकी देवी है. उसके पति का नाम मोती चंद्र वर्मा है. ये दोनों देवकली थाना सुखपुरा के रहने वाले हैं. दोनों की शादी 21 साल पहले हुई थी. पति के मिलने के बाद जानकी देवी का कहना है, "आज मुझे मेरे भगवान मिल गए. मैंने अपने पति को नेपाल तक ढूंढा था. लेकिन सब जगह से निराशा ही हाथ लगी थी. लेकिन शुक्रवार को जब मैं जिला अस्पताल आ रही थी तो मेरी नजर इन पर पड़ गई. पहले तो मुझे यकीन नहीं हुआ लेकिन बाद में मैंने ई-रिक्शा को रुकवाया और उतरकर इनके पास चली गई. 

लोगों ने इन दोनों को देखकर कहना शुरू कर दिया, पत्नी का प्रेम अपने पति के लिए किस प्रकार का होता है. यह इन दोनों को देखकर साबित होता है. भले ही पति पागल है. वह शायद पत्नी के मन की बात को समझ नहीं पा रहा हो, लेकिन महिला का जो व्यवहार था, वह अलग ही था. महिलाओं के प्रेम को जिस प्रकार से कुछ उदाहरणों के जरिए तोलने की कोशिश हो रही है, उसमें जानकी का प्रेम मिथकों को तोड़ता दिखता है. एक तरफ हमारे आस-पास अंजू नसरुल्लाह, सीमा हैदर और ज्योति मौर्य की कहानियों देखने को मिलता है. उससे इतर बलिया की जानकी की प्रेम की अलग ही कहानी कहते दिख रही है.

रिपोर्ट : कुमार कौशिक