केन्द्रीय बजट से रोहतास के लोगों से क्या उम्मीद है, क्यों बंदी के कगार पर है सभी राइस मिल ?

केन्द्रीय बजट से रोहतास के लोगों से क्या उम्मीद है, क्यों बंदी के कगार पर है सभी राइस मिल ?
केन्द्रीय बजट से रोहतास के लोगों से क्या उम्मीद है ?

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पूरे देश के लिए बजट पेश करने वाली है। एसे में बिहार के रोहतास जिला के नोखा के लोगों की बड़ी उम्मीद है। दअरसल रोहतास जिले को धान का कटोरा भी कहा जाता है यहाँ एक समय बिहार में सबसे अधिक राइस मिल नोखा में हुआ करती थी; लेकिन आज यह पूरा उद्योग लगभग बंदी के कगार पर हैं। पांच-छह साल पहले तक यहां कुल 26 रजिस्टर्ड राइस मिल संचालित था। लेकिन आज मात्र तीन राइस मिल ही किसी तरह सांसे ले रही है।  संचालक कर्ज के बोझ से इतना दब गए कि उन लोगों को अपना अपना कारोबार बंद करना पड़ा। सैकड़ों कामगार बेरोजगार हो गए। ऐसे में ज्यादातर कामगार काम की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन कर गए। 

चुकी इलाका धान की खेती के लिए विख्यात है और यहां के राइस मिल से उत्पादन होने वाले चावल दूसरे प्रांतों में भेजे जाते थे। लेकिन बाद में सरकार की नीतियां ऐसी हुई कि राइस मिल बंद होते चले गए। राइस मिल के मालिक कर्ज में भी डूब गए। आज स्थिति यह है कि मात्र 3 राइस मिल ही किसी तरह संचालित है। उनकी भी हालत खस्ताहाल है। कल होने वाले केंद्रीय बजट से यहां के लोगों की उम्मीदें हैं तथा वे चाहते हैं कि केंद्र सरकार के वित्त मंत्री अपने बजट में बिहार के इन बंद पड़े राइस मिलो को पुनः जागृत करने के लिए कुछ न कुछ पहल करें। ताकि राइस मिल कारोबारियों के अलावा यहां के किसानों तथा कामगारों को राहत मिल सके।

देसवा न्यूज के लिये रोहतास से कुमार रवि की रिपोर्ट...