सुपौल के जाबांज DTO और MVI से एक सवाल, दिल्ली वाली बसों पर स्थानीय जनता के मौत का सफर, DM साहब की आंखों में धूल या जान बूझकर हैं मौन?

जिस बस ने उत्तर प्रदेश के लखनऊ रिंग रोड किसान पथ पर भीषण हादसे में 5 लोगों की जान ले ली, अब वही 'ट्रैवल प्वाइंट' कंपनी की UP53DT 7737 नंबर वाली बस बिहार के सुपौल जिले में देखी गई है। हैरानी की बात यह है कि जब यह बस सुपौल में चल रही थी, उसी वक्त जिले के सबसे कर्मठ और योग MVI (मोटर यान निरीक्षक) मौके पर मौजूद थे—फिर भी किसी...

सुपौल के जाबांज DTO और MVI से एक सवाल, दिल्ली वाली बसों पर स्थानीय जनता के मौत का सफर, DM साहब की आंखों में धूल या जान बूझकर हैं मौन?

जिस बस ने उत्तर प्रदेश के लखनऊ रिंग रोड किसान पथ पर भीषण हादसे में 5 लोगों की जान ले ली, अब वही 'ट्रैवल प्वाइंट' कंपनी की UP53DT 7737 नंबर वाली बस बिहार के सुपौल जिले में देखी गई है। हैरानी की बात यह है कि जब यह बस सुपौल में चल रही थी, उसी वक्त जिले के सबसे कर्मठ और योग MVI (मोटर यान निरीक्षक) मौके पर मौजूद थे—फिर भी किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई। 

दिल्ली वाली बस सुपौल जिला में कैसे चल रही हैं ?

अब सवाल यह उठता है कि  ये बस जो सड़क पर खुलेआम सरपट दौड़ रही है इसका परिचालन सुपौल जिले में लगातार कैसे हो रहा है? जबकि विभाग के द्वारा सुपौल जिला में एक डीटीओ एक ए डी टी ओ, तीन MVI और 3 मोबाइल दरोगा की ड्यूटी लगी हुई है। इनके अलावे कुछ स्थानीय दबंग और गुंडों की प्रवृत्ति वाले लोग भी वाहन जांच में संलग्न रहते हैं फिर भी  दिन रात दिल्ली वाली बस सुपौल जिला में कैसे चल रही हैं ?

दिल्ली जाने वाली सभी बसें नजराना देती हैं-स्थानीय लोग

वहीं स्थानीय लोगों के मुताबिक दिल्ली जाने वाली सभी बसें नजराना देती हैं। सिस्टम से चलती हैं। "सिस्टम फिक्स नो रिस्क" लेकिन उस बिहार की गरीब जनता का क्या जो अपने बच्चों और परिवार का पेट पालने के लिए जान हथेली पर रखकर ऐसी बसों में सफर करते हैं लेकिन सवाल यह नहीं कि वे ऐसी बसों में सफर करते हैं—सवाल यह है कि क्या प्रशासन खुद करवाता है?"ऐसी बसों को परिचालन की इजाजत देकर?

अधिकारी डीएम की आंखों में धूल झोंक रहे हैं 

वहीं जानकारी के लिए बता दें कि इस बस का टैक्स इक्स्पाइर्ड है । रिसेंट चालान स्टैटस पेंडिंग है, मतलब की चालान नहीं भरा गया है  साथ ही  यह बस व्हीकल और डाक्यूमेन्ट इंपाउंड है। इसका मतलब होता है कि यह गाड़ी कहीं जप्त है और इसके दस्तावेज भी, लेकिन उसके बावजूद यह गाड़ी चल रही है। कैसे चल रही है यह तो वहां के डीटीओ ही बताएंगे।  दूसरी तरफ जिले की सारी प्रशासनिक व्यवस्था का सारा दारोमदार डीएम पर होता है लेकिन हाताल ऐसे हैं कि डीएम के जिले के अधिकारी उनकी आंखों में धूल झोंक रहे हैं और बेलगाम हैं। 

 जनता ऐसे बसों पर मौत का सफर कैसे कर रही है?

सूत्र बताते हैं कि इस बस पर भी बिहार सरकार के फाइन का लाखों रुपये बकाया है। इन पैसों की वसूली कौन करेगा? डीटीओ और एमबीआई साहब, आपके ज़िले से परिचालित होती हुई यह बस दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा या कहीं भी इसका परिचालन कैसे हो रहा है? क्यों हो रहा है इन सवालों का जवाब तो जिला परिवहन कार्यालय को ही देना होगा। जिला पदाधिकारी के जिले के रेवेन्यू का मामला है  तो सवाल उनसे भी होगा कि जिन बड़ी बड़ी गाड़ियों में लाखों लाख का रेवन्यू इन्वालव हैं। फाइन के रूप में उसको सरकारी खजाने में जमा करने की जवाबदेही और जिम्मेदारी किसकी है? वहीं सवाल  सुपौल के डीएम से भी है कि सुपौल की जनता ऐसे बसों पर मौत का सफर कैसे कर रही है?