सीएम नीतीश के गृह जिले में महिलाओं के अधिकारों का हो रहा हनन, महिला ESI से DTO ने "विशेष अवकाश" को लेकर पूछे अश्लील सवाल.. कहा-बोलो तुम्हारा मेडिकल कर दें

बिहार में बाहार है नीतीश की सरकार है, फिर भी महिलाओं का हो रहा अपमान है। एक ओर  जहां नीतीश कुमार महिलाओं के हक अधिकार की बात करते हैं तो वहीं दूसरी ओर उन्हीं के गृह जिला नालंदा में महिला के साथ अभद्र आचरण और आपत्तिजनक टिप्पणी कर एक पदाधिकारी द्वारा महिला को मानसिक आघात पहुंचाया जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार...

सीएम नीतीश के गृह जिले में महिलाओं के अधिकारों का हो रहा हनन, महिला ESI से DTO ने "विशेष अवकाश" को लेकर पूछे अश्लील सवाल.. कहा-बोलो तुम्हारा मेडिकल कर दें

बिहार में बाहार है नीतीश की सरकार है, फिर भी महिलाओं का हो रहा अपमान है। एक ओर  जहां नीतीश कुमार महिलाओं के हक अधिकार की बात करते हैं तो वहीं दूसरी ओर उन्हीं के गृह जिला नालंदा में महिला के साथ अभद्र आचरण और आपत्तिजनक टिप्पणी कर एक पदाधिकारी द्वारा महिला को मानसिक आघात पहुंचाया जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जो कि हमेशा महिलाओं के उत्थान और उनके भले के बारे में सोचते हैं उन्हीं के गृह जिले में महिलाओं के साथ अच्छे बर्ताव नहीं हो रहे हैं । ऐसी हरकत से कहीं ना कहीं सीएम नीतीश और उनके सुशासन को बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है ।

आपबिति में आत्महत्या तक का जिक्र

खबर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा से आ रही है । जहां एक महिला ESI के साथ जिला परिवहन पदाधिकारी नालंदा द्वारा अभद्र आचरण और आपत्तिजनक टिप्पणी की वजह से जिला परिवहन कार्यालय नालंदा में कार्यरत महिला परिवहन ESI इतनी आहत है कि उन्होंने अपनी आपबिति बिहार परिवहन मंत्री शीला कुमारी को बताया है। उनके साथ हुए दुर्व्यवहार की वजह से वह इतनी आहत है कि उन्होंने अपनी आपबीती में आत्महत्या तक का जिक्र भी किया है ।

मेडिकल करवाने तक की बात भी कही गई थी

दरअसल जिला परिवहन कार्यालय नालंदा में कार्यरत महिला परिवहन ESI ने विशेष अवकाश हेतु अपना आवेदन जिला परिवहन कार्यालय में जमा किया था।  जिस दिन उन्होंने यह आवेदन जमा किया था उसी दिन जिला परिवहन पदाधिकारी द्वारा उन्हें अपने चेंबर में बुलाया गया। चेंबर में चार से पांच पुरुष पदाधिकारी  बैठे थे। वहां एक भी महिला पदाधिकारी मौजूद नहीं थी। जहां जिला परिवहन पदाधिकारी द्वारा बार-बार छुट्टी से संबंधित अश्लील सवाल पूछे गए थे। यहां तक की मेडिकल करवाने तक की बात भी कही गई थी । इसके बाद जिला परिवहन पदाधिकारी द्वारा महिला ESI द्वारा दिए गए विशेष अवकाश के आवेदन को अस्वीकार कर दिया गया ।

अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?  

अब सवाल यह उठता है कि जिला परिवहन पदाधिकारी पर अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?  वहीं DTO द्वारा पूछे गए सवाल से तो यही लगता है कि उनके घर की महिलाएं पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द परेशानी से नहीं गुजरती होंगी या गुजराती भी होंगी तो DTO द्वारा उसे "बहाना या झूठ"  बताया जाता होगा क्योंकि सीखने की शुरुआत तो अपने घर से ही होती है । 

हर महीने दो दिन की पीरियड लीव ले सकती हैं 

यह कहना गलत नहीं होगा कि एक बार डीटीओ साहब  जैसी मानसिकता वाले पुरूष को भी महिलाओं को होने वाले मासिक धर्म के दर्द और कष्ट से गुजरने का सौभाग्य प्राप्त होना चाहिए। क्योंकि एक  कहावत है कि "जाके पांव न फटे बिवाई वह क्या जाने पीर पराई" यानी जिसने खुद कष्ट नहीं झेला वह दूसरों का दर्द नहीं समझ सकता। जानकारी के लिए बता दें कि बिहार ऐसा पहला राज्य था जहां महिला कर्मचारियों को पीरियड लीव का हक दिया गया था। बिहार में 1992 से कानून है कि राज्य सरकार की महिला कर्मचारी हर महीने दो दिन की पीरियड लीव ले सकती हैं और यह छुट्टी 45 साल की उम्र तक मिलती है।