ऑटोमैटिक फिटनेस केंद्र बांट रहा मौत का सर्टिफिकेट, अनफिट बस/ट्रकों को कर दे रहा है फिट, लोगों के मौत का जिम्मेदार कौन ?

जिस तरह से हरी अनंत हरी कथा अनन्ता यानी की राम कथा के इस पंक्ति का तात्पर्य है की प्रभु की माया अनन्त हैं उनकी कथा अनंत है ठीक उसी तरह कुछ फिटनेस सेंटरों की माया और कथा भी अनंत है। आज हम बात करेंगे गोल्डेन फिटनेस सेंटर की जो पटना जिले के पटना गया रोड पर धनरूआ में स्थित है। आज हम बात करेंगे की भारत की काली सड़कें आखिर खून से लाल क्यों हो ...

ऑटोमैटिक फिटनेस केंद्र बांट रहा मौत का सर्टिफिकेट, अनफिट बस/ट्रकों को कर दे रहा है फिट, लोगों के मौत का जिम्मेदार कौन ?

जिस तरह से हरी अनंत हरी कथा अनन्ता यानी की राम कथा के इस पंक्ति का तात्पर्य है की प्रभु की माया अनन्त हैं उनकी कथा अनंत है ठीक उसी तरह कुछ फिटनेस सेंटरों की माया और कथा भी अनंत है। आज हम बात करेंगे गोल्डेन फिटनेस सेंटर की जो पटना जिले के पटना गया रोड पर धनरूआ में स्थित है। आज हम बात करेंगे की भारत की काली सड़कें आखिर खून से लाल क्यों हो रही हैं? पहले भी केंद्र और राज्य सरकार इस विषय पे अपनी चिंता जाहिर कर चुकी है लेकिन सिर्फ चिंता जाहिर करने से क्या होगा?

"अपना काम बनता भाड़ में जाए जनता"

भारत की काली सड़कों को भारत के ही नागरिकों के खून से लाल होने से बचाने के लिए जो बुनियादी और ठोस उपाय होनी चाहिए। उसकी ओर किसी का ध्यान ही नहीं है क्योंकि इस विषय पर काम करने वाले जन प्रतिनिधि को जमीनी स्तर पर क्या काम होना चाहिए। इसकी सटीक जानकारी नहीं है। नियम और नीति बनाने वाले उनको पालन करवाने वाले उच्च अधिकारी अपने AC चेंबर से बाहर ही नहीं निकलते हैं। कोई मरता है मरे? किसी को क्या फर्क पड़ता है? कहावत बहुत पुरानी लेकिन सटीक बात है "अपना काम बनता भाड़ में जाए जनता"।

बस या ट्रक में बैठे हुए लोगों के जान की सुरक्षा से जुड़ा

आखिरकार भारत सरकार और राज्य सरकारों के जितने भी प्रयास हैं सड़क दुर्घटना की रोकथाम करने के लिए, सड़क सुरक्षा के लिए,वे सारे प्रयास विफल क्यों हो रहे हैं। क्यों हरेक साल भारत के लाखों बेगुनाहों की जान भेड़ बकरियों की तरह जा रही है लेकिन दुर्घटनाएं हैं जो रुकने का नाम नहीं ले रहा हैं। वहीं इसी कड़ी में देसवा न्यूज़ और देसवा ट्रांसपोर्ट न्यूज के सामने एक ऐसा मामला आया है। गाड़ियों का रखरखाव या यूं कहें कि,वो रोड पे चलने के लिए फिट है कि नहीं, जो बस या ट्रक रोड पर चलती है वो चलने योग्य है भी या नहीं? इसे कौन देखता है? क्योंकि सीधे सीधे ये मामला सड़क पर चलने वाले लोगों और उस बस या ट्रक में बैठे हुए लोगों के जान की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है।

प्राइवेट एजेंसियों को भी लाइसेंस निर्गत किया गया 
 
बता दें कि देशवा ट्रांसपोर्ट न्यूज के पास जो जानकारी है उसके हिसाब से इस काम की जवाबदेही और जिम्मेदारी अभी से कुछ समय पहले तक परिवहन विभाग के MVI के पास होती थी और अभी भी बहुत सारे जिले में इस काम को MVI ही करते है  लेकिन प्राप्त जानकारी के अनुसार अब इस काम को करने के लिए कुछ प्राइवेट एजेंसियों को भी लाइसेंस निर्गत किया गया है। जिसमें एक प्रमुख नाम पटना जिले के धनरूआ में स्थित गोल्डन वाहन फिटनेस सेन्टर है।

प्राइवेट कंपनी मुनाफे के लिए करती है काम

मैं अपने पाठकों से एक सवाल करना चाहता हूं कि एक बस में 70/80 यात्रियों की कपैसिटी होती है लेकिन  होली/ छठ के समय लगभग 150 तक यात्री ठूंसे पड़े रहते हैं और इन यात्रियों की जान की सुरक्षा एक निजी कंपनी को दे दी जाती है।...है ना आश्चर्यजनक... सरकारी कर्मचारी को तो अपनी नौकरी जाने का डर रहता है जेल जाने का डर रहता है सजा होने का डर रहता है कम से कम इस डर  के साए में ही वो काम तो सही तरीके से करता है लेकिन प्राइवेट कंपनियों का क्या , कोई मरे? कोई जिए? ये तो मुनाफे के लिए काम करती है।

क्या कभी किसी कंपनी मालिकों को सजा हुई है

अब सवाल ये बनता है की क्या सरकार इन प्राइवेट कंपनियों को जो वाहन फिटनेस सेन्टर के नाम पर चल रहे हैं मुनाफा पहुंचाने के लिए काम कर रही है। सवाल ये भी बनता है किसी भी दुर्घटना की स्थिति में जहां बड़ी संख्या में लोगों की जान जाती है क्या कभी किसी कंपनी मालिकों को सजा हुई है। मामला जब सीधे सीधे लोगों की जान की कीमत से जुड़ा हुआ है। उनकी सुरक्षा से जुड़ा हुआ है तो यह काम किसी प्राइवेट एजेंसी को क्यों दिया गया और कैसे दिया गया और दिया भी गया तो क्या ये काम सही तरीके से कर रही है या नहीं? इनके कामों  को मॉनेटरी कौन कर रहा है और जो मॉनिटरिंग कर रहा है। क्या वो सही तरीके से मॉनिटरिंग कर रहे हैं या नहीं? यह कौन देखने वाला है?

दस लाख से ऊपर का राजस्व बकाया 

आज हम बात कर रहे हैं एक बस के फिटनेस के संबंध में और जिस बस को रोड पर यात्रियों को ढोने के लिए फिट घोषित किया गया है। उस बस पर बिहार सरकार का करीब दस लाख से ऊपर का राजस्व बकाया है और दस लाख से ऊपर रुपया बकाया रहते हुए भी  इस बस का फिटनेस मार्च 2025 में कर दिया गया। है ना ये जाँच का विषय लेकिन जाँच करेगा कौन ,कोई नहीं करेगा, क्योंकि फिटनेस सेन्टर में जांच जेब का होता है  गाडी का नहीं होता है।  जिसकी जेब जितनी भारी उसका काम उतनी ही आसानी से उतनी ही सहूलियत से और उतनी ही जल्दी होता है।  
 
सरकार के आदेश को ठेंगा दिखाया गया

चलिए इतना भी होता तो सब्र हो जाता.. सरकार का पैसा है यूं ही आते जाते रहता है लेकिन बात यहां उससे भी बड़ी है यहाँ बात लोगों की जान और उसकी सुरक्षा से जुड़ी हुई है क्योंकि बस ओनर बुक मतलब आरसी मतलब की परिवहन विभाग ने उसे जैसे पास किया था।  उस हिसाब से बस बनी ही हुई नहीं है फिर भी इसका फिटनेस कर दिया गया। मतलब सरकार के आदेश को ठेंगा दिखाया गया । ऑनर बुक को ठेंगा दिखाया गया RC को ठेंगा दिखाया गया।

गाड़ी में दस स्लीपर होना चाहिए 

हम बात कर रहे हैं बस निबंधन संख्या BR01PM 1792 की जिसके ओनर बुक में 46 सीट लिखा हुआ है मतलब गाड़ी बैठने के लिए 46 सीट होना चाहिए था लेकिन इसमें मात्र 25 है। ओनर बुक के हिसाब से गाड़ी में दस स्लीपर होना चाहिए मतलब दस लोगों के लिये सोने की जगह लेकिन इस बस में तीस लोगों के लिए सोने की जगह का इंतजाम किया गया है। टोटल तीस स्लीपर है इसमें उसके बावजूद भी गोल्डेन वाहन फिटनेस सेन्टर ने इस गाड़ी को फिट घोषित कर दिया। मतलब साफ है इन? लोगों के द्वारा गाड़ियों को नहीं जांचा जाता है। गाड़ी मालिकों के जेब को जाँचा जाता है जिसका जेब जितना बड़ा उसको उतनी ही ज्यादा सहूलियत।

हर साख पे उल्लू बैठा है अंजामे गुलिश्ता क्या होगा

एक तरफ जहां इस बस में 46 सीट होना चाहिए था वहां मात्र 26 सीट है वो भी एक सीट वहां चालक का मिलाकर।  जहां 10 लोगों के सोने की जगह होनी चाहिए थी  वहां 30 लोगों के सोने की जगह इसने बस के अंदर बनाई है और मज़े की बात ये है की मार्च 2025 में हीं इस बस को चलने के योग्य घोषित कर दिया गया। गोल्डेन वाहन फिटनेस सेन्टर के द्वारा। इतनी बड़ी खामी के बावजूद भी अगर ये फिटनेस सेंटर काम करते रहता है तो मतलब  साफ है हर साख पे उल्लू बैठा है अंजामे गुलिश्ता क्या होगा।

सभी कार्यों की जांच होनी चाहिए

तब क्या अब भी ऐसे ऐसे तमाम फिटनेस सेन्टर जो पूरे बिहार में कुकुरमुत्ते की तरह फैले हुए हैं, इनको काम करने की इजाजत देनी चाहिए। रात हो या दिन किसी भी समय बिहार की आम जनता बड़े इत्मीनान और चैन से उन स्लीपर बसों में नाइट सर्विस में या दिन में ये सोचकर जाती है कि वो अपने घर तक सही सलामत पहुंचेगी लेकिन अक्सर यहां ये देखने को मिलता है कि वो यात्रा उनकी अन्तिम यात्रा हो गई।मुझे एक आम इंसान होने के नाते यह लगता है कि सरकार को और इससे संबंधित विभाग को इन तमाम फिटनेस सेंटर का लाइसेंस को पहले रद्द करना चाहिए फिर उसके बाद इनके सभी कार्यों की जांच होनी चाहिए। जांच में परिवहन विभाग के इनफोर्समेंट और MVI का भी सहयोग लेना चाहिए। क्योंकि धरातल पर इन दोनों से ज्यादा प्रैक्टिकल जानकारी किसी भी ac चैम्बर में बैठे हुए अधिकारी के पास नहीं होती। 

चोर के दाढ़ी में तिनका

देसवा ट्रांसपोर्ट न्यूज़ ऐसे सभी जालसाज फिटनेस सेन्टर ड्राइविंग टेस्टिंग सेन्टर की पोल खोलेगा जो  लोगों के जान के कीमत से खेलकर अपना जेब गर्म कर रहे हैं अपने परिवार के ऐशो आराम का इंतजाम कर रहे हैं। इन लोगों के लिए देशवा ट्रांसपोर्ट न्यूज का स्पष्ट संदेश है जब तक आप इस तरह का भ्रष्टाचार करते रहोगे। मैं रात में आपको चैन की नींद सोने नहीं दूँगा। वहीं यह भी बता दें कि गोल्डन वाहन फिटनेस सेंटर के मालिक से देशवा ट्रांसपोर्ट न्यूज़ की टीम लगातार संपर्क करने की कोशिश कर रही है । यह जानने के लिए की उनका पक्ष क्या है लेकिन बार-बार लगातार संपर्क करने के बाद भी गोल्डन वाहन फिटनेस सेंटर का मालिक कन्नी काटते दिख रहा है। इसका मतलब साफ है चोर के दाढ़ी में तिनका।