बिहार चुनाव से पहले अमित शाह से मिलेंगे जीतन राम मांझी, सीट शेयरिंग को लेकर चाहते हैं स्पष्टता, कहा-सरकार की नीयत में ही खोट
बिहार चुनाव से पहले केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी मंगलवार शाम साढ़े 6 बजे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे। यह मुलाकात दिल्ली में अमित शाह के बंगले पर होगी। कहा जा रहा है किजीतन राम मांझी सीट शेयरिंग पर स्पष्टता चाहते हैं। दरअसल, हम संरक्षक इस बार 35 से 40 सीटों पर अपना दावा ठोक रहे हैं। एनडीए में सीटों का बंटवारा होने से पहले...

बिहार चुनाव से पहले केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी मंगलवार शाम साढ़े 6 बजे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे। यह मुलाकात दिल्ली में अमित शाह के बंगले पर होगी। कहा जा रहा है किजीतन राम मांझी सीट शेयरिंग पर स्पष्टता चाहते हैं। दरअसल, हम संरक्षक इस बार 35 से 40 सीटों पर अपना दावा ठोक रहे हैं। एनडीए में सीटों का बंटवारा होने से पहले ही मांझी ने अपने कैंडिडेट उतारने शुरू कर दिए हैं। अब वह अकेले शाह से मुलाकात करने वाले हैं।
सीट शेयरिंग को लेकर स्पष्टता
सूत्र की माने तो इस मुलाकात के दौरान बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर दोनों नेताओं के बीच बातचीत होगी। जीतन राम मांझी बिहार एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर स्पष्टता चाहते हैं। बता दें कि जीतन मांझी बिहार के अलग अलग जिलों में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रहे हैं, जिसमें वह कह रहे हैं कि बिहार विधानसभा में उनकी पार्टी के कम से कम 20-25 विधायक होने चाहिए। इसके लिए उन्हें एनडीए में रहते हुए कम से कम 30 से 40 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का मौका मिलना चाहिए।
बाकी घटक दलों के कान खड़े हो गए
इस मुलाकात को लेकर बिहार एनडीए के बाकी घटक दलों के कान खड़े हो गए हैं। बता दें कि बिहार एनडीए में इस बार बीजेपी और जेडीयू के अलावा जीतन राम मांझी की हम, चिराग पासवान की लोजपा-रामविलास और उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो शामिल है। इन पांचों दलों की कोशिश है कि वह ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ें। शीट-शेयरिंग का फॉर्मूला बीजेपी और जेडीयू को निकालना है, लिहाजा मांझी शाह के पास अपनी अर्जी लगाने पहुंच रहे हैं।
सरकार की नीयत में ही खोट है-मांझी
वहीं जीतन राम मांझी ने गया में एक दिन पहले ही कॉमन स्कूल सिस्टम पर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा, 'आखिर किसके डर से इसे लागू नहीं किया जा रहा। सरकार की नीयत में ही खोट है। तभी समान शिक्षा का सपना अब तक अधूरा है। न पिछली सरकारों में हिम्मत थी और न ही मौजूदा सरकार में।'