1.24 लाख रू वसूली के मामले में भोजपुर डीटीओ कार्यालय के सिपाही पर केस दर्ज, DTO और एमवीआई को लेकर उठे सवाल
परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है। सिपाही से लेकर आरटीओ तक भ्रष्टाचार कर अवैध वसूली कर संपत्ति अर्जित करने में लगे हैं। परिवहन के क्षेत्र में न सिर्फ बिहार बल्कि अन्य राज्यों में भी भ्रष्ट अफसर-सिपाही कुबेर बनकर बैठे हैं। खुलेआम आमजन को लूटा जा रहा है। अवैध वसूली करना तो जैसे विभाग के अधिकारियों-कर्मियों का जन्मसिद्ध अधिकार सा हो गया है। इसी कड़ी में...

परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है। सिपाही से लेकर डीटीओ तक भ्रष्टाचार कर अवैध वसूली कर संपत्ति अर्जित करने में लगे हैं। परिवहन के क्षेत्र में न सिर्फ बिहार बल्कि अन्य राज्यों में भी भ्रष्ट अफसर-सिपाही कुबेर बनकर बैठे हैं। खुलेआम आमजन को लूटा जा रहा है। अवैध वसूली करना तो जैसे विभाग के अधिकारियों-कर्मियों का जन्मसिद्ध अधिकार सा हो गया है। इसी कड़ी में ताजा मामला भोजपुर का है, जहां जिला परिवहन कार्यालय पर गंभीर आरोप लगे हैं। 1.24 लाख रू वसूली के मामले में भोजपुर डीटीओ कार्यालय के सिपाही पर 30 अप्रैल को केस दर्ज हुआ है।
कोईलवर थाने में प्राथमिकी दर्ज
बता दें कि भोजपुर जिला ट्रक ऑनर एसोशिएशन के अध्यक्ष अजय कुमार के आवेदन पर भोजपुर जिले के कोईलवर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है। भोजपुर डीटीओ कार्यालय के सिपाही रोहित कुमार एवं अन्य के खिलाफ दिए आवेदन में आवेदक ने बताया कि ये सभी खनन कानून का भय दिखाकर एक लाख चौबीस हजार रू अवैध तरीके से लिए हैं। गाड़ी सं- BR05GD7161 के मालिक अमित कुमार ने उन्हें जानकारी दी थी कि उनसे स्कैनर के माध्यम से 1 लाख रू और नकद 24 हजार रू लिए गए। यूपीआई के माध्यम से हकीकत कुमार और सीमा कुमारी के बैंक खाते में वो राशि गई है।
क्या एक सिपाही इतनी बड़ी राशि ले सकता है ?
वहीं अजय कुमार ने अपने आवेदन में उल्लेख किया है कि हमने इसकी शिकायत वरीय अधिकारियों से की थी। इस घटना में जिला परिवहन पदाधिकारी एवं मोटरयान निरीक्षक की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता है। इसके बाद कोईलवर थाने की पुलिस ने 30 अप्रैल को केस सं-116-25 दर्ज किया है। बीएनएस की धारा 308(2)(3), 316 (5) व अन्य धाराओं में केस दर्ज किया है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या एक सिपाही इतनी बड़ी राशि ले सकता है ? हालांकि पुलिस ने जिस आवेदन पर केस दर्ज किया है, उसमें जिला परिवहन पदाधिकारी और एमवीआई को लेकर भी सवाल खड़े किए गए हैं।