बिहार में आवासीय प्रमाण पत्र बना मज़ाक!, मुख्यमंत्री के बाद दरिंदा ने मांगा प्रमाण पत्र, पिता का नाम बताया राक्षस
एक तरफ बिहार में वोटर लिस्ट में दो-दो पहचान, मृतकों के नाम और फर्जी मतदाता ID की बाढ़ है, तो दूसरी ओर सरकारी दस्तावेज़ों की हालत देखिए — कभी ट्रैक्टर, कभी कुत्ते, और अब "मुख्यमंत्री" और "दरिंदा" भी सरकारी प्रमाण पत्र बनवाने लगे हैं। सवाल उठता है: बिहार में डिजिटल गवर्नेंस हो रहा है या डिजिटल मज़ाक? दरअसल बिहार में आवासीय प्रमाण पत्र को लेकर एक बार फिर से बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। हाल ही में कुत्ते और ट्रैक्टर के नाम से प्रमाण पत्र बनने की घटना ने जहां सरकारी सिस्टम की कार्यशैली पर सवाल...

एक तरफ बिहार में वोटर लिस्ट में दो-दो पहचान, मृतकों के नाम और फर्जी मतदाता ID की बाढ़ है, तो दूसरी ओर सरकारी दस्तावेज़ों की हालत देखिए — कभी ट्रैक्टर, कभी कुत्ते, और अब "मुख्यमंत्री" और "दरिंदा" भी सरकारी प्रमाण पत्र बनवाने लगे हैं। सवाल उठता है: बिहार में डिजिटल गवर्नेंस हो रहा है या डिजिटल मज़ाक? दरअसल बिहार में आवासीय प्रमाण पत्र को लेकर एक बार फिर से बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। हाल ही में कुत्ते और ट्रैक्टर के नाम से प्रमाण पत्र बनने की घटना ने जहां सरकारी सिस्टम की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए थे, वहीं अब "मुख्यमंत्री" और "दरिंदा" जैसे नामों से किए गए आवेदन ने प्रशासन को अलर्ट मोड में ला दिया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम से फर्जी आवेदन
हाल ही में मुजफ्फरपुर जिले के सरैया प्रखंड से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया था, जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम और फोटो के साथ किसी ने फर्जी रूप से आवासीय प्रमाण पत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन किया। आवेदन में न सिर्फ नाम और फोटो गलत था, बल्कि मोबाइल नंबर भी फर्जी डाला गया था।मामला जब राजस्व कर्मी के संज्ञान में आया, तो उन्होंने तत्काल अपने वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया और सरैया थाना में प्राथमिकी दर्ज करवाई। अब इस मामले की जांच में साइबर पुलिस भी जुट गई है।
"दरिंदा", "राक्षस" और "कराफ्टन" के नाम से आवेदन
इसी तरह, एक और अजीबो-गरीब मामला औराई प्रखंड से सामने आया है, जिसमें एक व्यक्ति ने "दरिंदा" नाम से, पिता का नाम "राक्षस" और माता का नाम "कराफ्टन" बताते हुए 24 जुलाई को ऑनलाइन आवेदन किया। हैरानी की बात यह है कि आवेदन में फोटो की जगह एक कार्टून छवि अपलोड की गई थी और पता खेतलपुर, औराई बताया गया।राजस्वकर्मी ने इस आवेदन को तुरंत निरस्त करते हुए अपने वरीय अधिकारियों को इसकी जानकारी दी और औराई थाना में प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया गया है। पुलिस इस मामले की भी जांच कर रही है। बता दें कि सवाल ये उठता है कि आखिर कौन हैं वो लोग जो ऐसे आवेदन कर पा रहे हैं? क्या ऐसे ही सिस्टम से बिहार में 12 लाख नौकरियां और 34 लाख रोजगार बांटे जाएंगे? ये सारा डिजिटल इंडिया आखिर जा कहां रहा है?"