पटना में ₹422 करोड़ की लागत से बने डबल-डेकर फ्लाईओवर का हिस्सा उद्घाटन के दो महीने बाद ही धंसा, निर्माण पर उठे सवाल

बिहार की राजधानी पटना में तेज बारिश के बाद अशोक राजपथ स्थित डबल-डेकर फ्लाईओवर का एक हिस्सा धंस गया, जिससे क्षेत्र में हड़कंप मच गया। यह वही फ्लाईओवर है जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 11 जून 2025 को किया था। महज दो महीने में ही ₹422 करोड़ की लागत से बने इस पुल की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए...

पटना में ₹422 करोड़ की लागत से बने डबल-डेकर फ्लाईओवर का हिस्सा उद्घाटन के दो महीने बाद ही धंसा, निर्माण पर उठे सवाल

बिहार की राजधानी पटना में तेज बारिश के बाद अशोक राजपथ स्थित डबल-डेकर फ्लाईओवर का एक हिस्सा धंस गया, जिससे क्षेत्र में हड़कंप मच गया। यह वही फ्लाईओवर है जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 11 जून 2025 को किया था। महज दो महीने में ही ₹422 करोड़ की लागत से बने इस पुल की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए हैं।

क्या हुआ हादसे में?
बारिश के बाद सोमवार सुबह फ्लाईओवर के एक हिस्से पर अचानक धंसान देखा गया।स्थानीय लोगों के अनुसार, रातभर पानी जमा रहने के कारण सड़क की सतह कमजोर हो गई और कुछ हिस्सों में फुटपाथ और सड़क दरक गई।बता दें कि यह फ्लाईओवर बिहार का पहला डबल-डेकर (दो मंजिला) फ्लाईओवर है, जो पटना सिटी के अशोक राजपथ पर बनाया गया है।ऊपरी डेक (Tier-II): गांधी मैदान से साइंस कॉलेज तक, लंबाई 2,175 मीटर, निचला डेक (Tier-I): पटना कॉलेज से बीएन कॉलेज तक, लंबाई 1,449 मीटर। दोनों डेक की चौड़ाई 8.5 मीटर है। इसका उद्देश्य अशोक राजपथ पर ट्रैफिक जाम की समस्या से निजात दिलाना और मेट्रो व जेपी गंगा पथ से जोड़कर शहर को स्मार्ट कनेक्टिविटी देना है।

मुख्य संरचना को कोई नुकसान नहीं 
वहीं डबल डेकर पुल के क्षतिग्रस्त होने की खबरों को बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक ने गलत बताया है।उन्होंने स्पष्ट किया है कि लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के कारण पुल की सड़क का एक छोटा हिस्सा आंशिक रूप से खिसक गया है।यह पुल पूरी तरह से सुरक्षित है और इसकी मुख्य संरचना को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है।खिसके हुए हिस्से की मरम्मत का काम तेजी से किया जा रहा है।

सरकार और निर्माण एजेंसियों पर उठ रहे सवाल 
बता दें कि घटना के बाद से ही सरकार और निर्माण एजेंसियों पर सवाल उठ रहे हैं। यह पहली बार नहीं है जब बिहार में भारी भरकम बजट से तैयार कोई प्रोजेक्ट कुछ ही महीनों में सवालों के घेरे में आ गया हो।डबल डेक फ्लाईओवर को लेकर अब यह बहस छिड़ गई है कि क्या इसे जल्दबाज़ी में उद्घाटित किया गया था? क्या इसकी गुणवत्ता की ठीक से जांच हुई थी? और क्या जनता के टैक्स के पैसे का इस तरह इस्तेमाल जिम्मेदार शासन की मिसाल है? दरअसल बिहार में इस वक्त सवाल सिर्फ एक फ्लाईओवर के धंसने का नहीं, बल्कि विकास की नींव में कितनी सच्चाई है—इसका है।क्या ₹422 करोड़ की लागत पर बने फ्लाईओवर का दो महीने में ही इस तरह कमजोर हो जाना महज प्राकृतिक आपदा का असर है? या यह सिस्टम की एक बड़ी चूक है? जवाबदेही अब जरूरी है।