बिहार में शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर और शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव केके पाठक के बीच बढ़ी तनातनी, क्या है मामला, मंत्री बड़ा या अफसर?
दरअसल, 1990 बैच के IAS केके पाठक ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव की जिम्मेदारी संभालते ही विभाग और जिला शिक्षा कार्यालयों पर नकेल कसनी शुरू कर दी। केके पाठक के बारे में कहा जाता है कि जब बिहार का कोई मुख्यमंत्री किसी विभाग को दुरुस्त करना चाहता है तो उसे केके पाठक की याद जरूर आती है। लालू से लेकर नीतीश तक इन्हें आजमा चुके हैं।
हालांकि, शिक्षा विभाग में आईएएस केके पाठक की जरूरत से ज्यादा दखल राजद कोटे से शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को रास नहीं आई। उन्होंने अपने आप्त सचिव डॉ कृष्ण नन्द यादव से केके पाठक को पीत पत्र भिजवा दिए और शिक्षा मंत्री के अधिकार के हनन की बात कही। इसके बाद केके पाठक ने पीत पत्र के जवाब में शिक्षा मंत्री के आप्त सचिव को पत्र लिख दिया, जिसके बाद यह पूरा विवाद सार्वजनिक हो गया।
शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव ने इस पत्र के जरिए मंत्री के आप्त सचिव को फटकार लगाई और नसीहत दे डाली। केके पाठक ने आप्त सचिव की कार्यशैली पर भी सवाल उठाया और ऑफिस में उनकी एंट्री बंद कर दी। केके पाठक ने पत्र में उनकी डॉक्टरेट की डिग्री की भी मांग कर दी और कहा कि आप अपने नाम के आगे जो डॉ लगाते हैं, उसका सबूत दें।
शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर ने केके पाठक के पत्र को आड़े-हाथों लिया और भागे-भागे लालू यादव के पास शिकायत लेकर पहुंच गए। लालू प्रसाद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को फोन घुमाया दिया और पूरे मामले की जानकारी दी।सीएम नीतीश कुमार ने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव केके पाठक को आमने-सामने बिठाया और मामले को तूल देने की बजाय सलटाने की सलाह दी।
शिक्षा मंत्री का सवाल - मंत्री बड़ा या अधिकारी
सीएम से मुलाकात के बाद भी शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के रुख नर्म नहीं पड़े। उन्होंने मीडिया से बातचीत में यह सवाल उठाया कि संविधान के अनुसार, कौन बड़ा है? मंत्री या अधिकारी? हालांकि, शिक्षा मंत्री ने केके पाठक के साथ उनके किसी भी तरह के विवाद से इनकार किया।
RJD-JDU के नेताओं के बीच बढ़ी दरार महागठबंधन की बढ़ी मुश्किलें
शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव के विवाद में राजद और जदयू के कई नेता भी कूद पड़े। आग में घी डालने का काम जदयू कोटे के मंत्री रत्नेश सदा ने किया। उन्होंने कहा केके पाठक सरकार को बदनाम कर रहे हैं। फिर क्या था। आईएएस अधिकारी केके पाठक को लेकर राजद और जदयू के नेता आपस में ही उलझ गए हैं।
राजद के कई नेताओं ने भी केके पाठक के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की तो कई ने उनके कामों की सराहना की। राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि केके पाठक जैसे अफसर काम कम और शोर-शराबा ज्यादा करते हैं।उन्हें कान पकड़कर निकाल देना चाहिए।
दूसरी तरफ ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि केके पाठक के बारे में राज्य के लोग जानते हैं कि वे एक ईमानदार अधिकारी हैं। जदयू के विधान परिषद सदस्य और पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि पाठक की कार्यशैली परिणाम देने वाली है। उन्होंने कहा कि पाठक ने शिक्षा विभाग के सिस्टम को अपडेट किया है। इससे किसी को परेशानी हो रही होगी।
रिपोर्ट - अमित कुमार पाण्डेय