HARTALIKA TEEJ 2025:,हरतालिका तीज कल, जानें क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, इन नियमों का करें पालन

हिंदू धर्म में हर पर्व और व्रत का अपना अलग महत्व है। इन्हीं में से एक है हरतालिका तीज। हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को यह व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।यह व्रत मुख्य रूप से उत्तर भारत (बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड) में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र और अखंड सुहाग के लिए, वहीं अविवाहित कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती....

HARTALIKA TEEJ 2025:,हरतालिका तीज कल, जानें क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, इन नियमों का करें पालन

हिंदू धर्म में हर पर्व और व्रत का अपना अलग महत्व है। इन्हीं में से एक है हरतालिका तीज। हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को यह व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।यह व्रत मुख्य रूप से उत्तर भारत (बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड) में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र और अखंड सुहाग के लिए, वहीं अविवाहित कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती हैं। इस व्रत की पूजा को सुबह के समय किया जाता है।

पूरे दिन निर्जल व्रत
बता दें कि भाद्रपद के महीने में मनाए जाने वाले व्रतों में हरतालिका तीज विशेष रूप से पति की लंबी आयु और वैवाहिक सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है।इस बार हरतालिका तीज मंगलवार को पड़ रही है और सुहागिन महिलाएं अखंड सुहाग की मनोकामना को लेकर पूरे दिन निर्जल व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करेंगी।पौराणिक मान्यता है कि यह व्रत वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि, पति की लंबी उम्र और दांपत्य जीवन में सौहार्द बढ़ाता है। वहीं, अविवाहित कन्याएं इस व्रत को अच्छे वर की प्राप्ति के लिए कर सकती हैं। धार्मिक दृष्टि से यह व्रत आत्मसंयम, दृढ़ इच्छाशक्ति और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है।

तीज की पूजा कैसे करें?
जानकारी के लिए बता दें कि तीज के पूजा के लिए सुहागिन महिलाओं को सुबह के समय स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लेना होता है। इसके बाद पूजा के लिए मिट्टी से भगवान शिव-पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा बनाई जाती है या फिर कलश स्थापना कर उन पर श्रृंगार चढ़ाया जाता है। केले के पत्ते, बेलपत्र, धतूरा, अक्षत, पुष्प, सुहाग सामग्री (चूड़ी, बिंदी, सिंदूर), फल और मिठाई अर्पित की जाती है। 

 दुल्हन की तरह श्रृंगार 
बता दें कि इस दिन महिलाएं दुल्हन की तरह श्रृंगार करती हैं और पूजा के समय हाथों में मेहंदी, पैरों में आलता और सोलह शृंगार करती हैं. व्रत कर रही महिलाओं को शिव-पार्वती विवाह की कथा सुनना और सुनाना इस पूजा का सबसे आवश्यक अंग है। वहीं हरतालिका तीज में दान करने के लिए इन सामग्रियों की जरूरत होती है जैसे- मेहंदी, बिंदी, कुमकुम, चूड़ी, बिछिया, काजल, श्रीफल, कलश, अबीर, सिंदूर, कंघी, माहौर, चंदन, घी, तेल, कपूर, कुमकुम, दीपक।

हरतालिका तीज पर पूजन का शुभ मुहूर्तः
हरतालिका तीज पर प्रातः काल पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 56 मिनट से सुबह 08 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। पूजन की कुल अवधि 02 घंटे 35 मिनट की है। पूजन का प्रदोष काल मुहूर्त शाम 06 बजकर 49 मिनट से शाम 07 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। हरतालिका तीज पर पूजन के बन रहे ये मुहूर्त भी।

हरतालिका तीज व्रत के नियम:
हरतालिका तीज व्रत का सबसे पहला नियम ये है कि ये व्रत निर्जला रखा जाता है। यानी कि इसमें अन्न और जल कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता है।
अगर एक बार जो स्त्री इस व्रत को शुरू कर देती है तो फिर उसे हर साल इस व्रत को करना होता है। इस व्रत को बीच में छोड़ना अशुभ माना जाता है।
हरतालिका तीज व्रत के दिन रात में जागकर भजन-कीर्तन और जागरण करना चाहिए।
इस दिन व्रती महिलाओं की मिट्टी या बालू से शिव-पार्वती की प्रतिमा बनाकर उसकी पूजा करनी चाहिए।
इस दिन महिलाओं को एक पिटारे में सुहाग की सभी सामग्री माता पार्वती को अर्पित करना चाहिए।
पूजा के अगले दिन ही सुहाग सामग्री दान भी कर दी जाती है।
हरतालिका तीज व्रत रखने वाली महिलाओं को हाथों पर मेहंदी जरूर लगानी चाहिए।
इसके अलावा महिलाओं को तीज की पूजा से पहले 16 श्रृंगार कर अच्छे से तैयार होना चाहिए।