शारदीय नवरात्र की महानवमी: माता सिद्धिदात्री की पूजा, कल विजयादशमी

शारदीय नवरात्र का पावन पर्व अपने अंतिम पड़ाव पर है। आज आश्विन शुक्ल पक्ष की महानवमी तिथि पर माता दुर्गा के नौवें स्वरूप माता सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जा रही है। आश्विन मास की नवमी तिथि की शुरुआत 30 अक्टूबर यानी कल शाम 6 बजकर 06 मिनट पर शुरू हो चुकी है और तिथि का समापन 1 अक्टूबर यानी आज शाम 7 बजकर 01 मिनट पर मिनट पर होगा। विशेष संयोग यह है कि इस बार महानवमी रवियोग और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में पड़ रही...

शारदीय नवरात्र की महानवमी: माता सिद्धिदात्री की पूजा, कल विजयादशमी

शारदीय नवरात्र का पावन पर्व अपने अंतिम पड़ाव पर है। आज आश्विन शुक्ल पक्ष की महानवमी तिथि पर माता दुर्गा के नौवें स्वरूप माता सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जा रही है। आश्विन मास की नवमी तिथि की शुरुआत 30 अक्टूबर यानी कल शाम 6 बजकर 06 मिनट पर शुरू हो चुकी है और तिथि का समापन 1 अक्टूबर यानी आज शाम 7 बजकर 01 मिनट पर मिनट पर होगा। विशेष संयोग यह है कि इस बार महानवमी रवियोग और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में पड़ रही है, जिसे अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है।महानवमी पर माता सिद्धिदात्री की आराधना से साधक को समस्त प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। मान्यता है कि इनकी कृपा से लौकिक और परलौकिक सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं। इसी भाव से श्रद्धालु आज घरों, मंदिरों और भव्य दुर्गा पंडालों में माता का श्रृंगार कर पूजा कर रहे हैं।

कन्याओं को देवी का साक्षात स्वरूप माना जाता है
कल महाष्टमी के दिन पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र और शोभन योग में भक्तों ने माता महागौरी की आराधना की थी। भक्तजनों ने निराहार या फलाहार रहकर कमल पुष्प, अपराजिता और विविध भोग अर्पित किए और भगवती जगदम्बा से सर्वसिद्धि की कामना की।आज महानवमी के अवसर पर श्रद्धालु दुर्गा सप्तशती, रामचरित मानस, सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ पूर्ण करेंगे। पाठ और मंत्रजाप के उपरांत हवन, तर्पण, मार्जन और पुष्पांजलि की जाएगी। इसके बाद परंपरा अनुसार कन्या पूजन होगा। कन्याओं को देवी का साक्षात स्वरूप मानकर उन्हें कुमारी, त्रिमूर्ति, कल्याणी, रोहिणी, कालिका, चंडिका, शांभवी, दुर्गा और सुभद्रा के रूप में पूजकर प्रसाद वितरित किया जाएगा।

विजयादशमी के साथ नवरात्रि का समापन 
जो भक्त महाष्टमी पर उपवास कर रहे थे, वे आज महानवमी पर पारण करेंगे।कल गुरुवार को विजयादशमी के साथ नवरात्रि का समापन होगा। इस दिन माता की विदाई शोभायात्रा और पालकी के साथ होगी। अहले सुबह देवी की विदाई कर नौ दिन का उपवास करने वाले श्रद्धालु पारण करेंगे।नवरात्र के इन पावन दिनों में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। मान्यता है कि दो वर्ष से लेकर दस वर्ष की कन्याएं स्वयं माता दुर्गा का स्वरूप होती हैं। इन्हीं के पूजन और आशीर्वाद से भक्तों का जीवन मंगलमय बनता है।

महानवमी पर कैसे करें कन्या पूजन?
आज महानवमी के दिन कन्याओं को सम्मानपूर्वक आमंत्रित करें और उनका स्वागत करें।कन्याओं को आरामदायक स्थान पर बिठाकर उनके पैरों को दूध से धोए और उनके माथे पर अक्षत, फूल या कुमकुम लगाएं, कन्याओं को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा और उपहार दें, कन्याओं के पैर छूकर आशीर्वाद लें और मां भगवती की कृपा प्राप्त करें।