पटना AIIMS के जूनियर डॉक्टर की संदिग्ध मौत मामले में CBI जांच की मांग तेज,डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा-सीनियर डॉक्टरों का व्यवहार अच्छा नहीं
पटना AIIMS में फिर एक डॉक्टर की मौत ने संस्थान पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जूनियर डॉक्टर यजुवेंद्र साहू की 19 जुलाई को संदिग्ध हालात में मौत हो गई। हालांकि इसे शुरुआती तौर पर आत्महत्या कहा जा रहा है, लेकिन परिजन इस थ्योरी को मानने को तैयार नहीं हैं।उनका कहना है कि डॉ. यदुवेंद्र को आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया। परिजनों ने यजुवेंद्र साहू की मौत की जांच CBI से कराने की मांग की है। इसके लिए उन्होंने सिटी SP वेस्ट को पत्र लिखा है। परिजनों का कहना है कि यदुवेंद्र साहू आत्महत्या नहीं कर सकते....

पटना AIIMS में फिर एक डॉक्टर की मौत ने संस्थान पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जूनियर डॉक्टर यजुवेंद्र साहू की 19 जुलाई को संदिग्ध हालात में मौत हो गई। हालांकि इसे शुरुआती तौर पर आत्महत्या कहा जा रहा है, लेकिन परिजन इस थ्योरी को मानने को तैयार नहीं हैं।उनका कहना है कि डॉ. यदुवेंद्र को आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया। परिजनों ने यजुवेंद्र साहू की मौत की जांच CBI से कराने की मांग की है। इसके लिए उन्होंने सिटी SP वेस्ट को पत्र लिखा है। परिजनों का कहना है कि यदुवेंद्र साहू आत्महत्या नहीं कर सकते हैं। उन्हें आत्महत्या करने पर मजबूर किया गया है। डॉक्टरों का कहना है कि डॉ. नीलेश के आत्महत्या के बाद भी AIIMS प्रशासन ने आत्महत्या रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
AIIMS प्रशासन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन
बता दें कि अब यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है, और AIIMS प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।इस मामले को लेकर रेजिडेंट डॉक्टर्स और मेडिकल छात्रों ने सोमवार को AIIMS प्रशासन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया।रेजिडेंट डॉक्टर्स का आरोप है कि AIIMS प्रशासन ने घटना के बाद यदुवेंद्र के परिवार से मिलना तक सही नहीं समझा। इससे नाराज परिजन शव का पोस्टमार्टम पटना PMCH में करवाने गए।वहीं पिछले 2 साल में डॉक्टर के सुसाइड की यह दूसरी घटना है। इससे पहले 26 सितंबर 2023 को हरियाणा निवासी एनेस्थीसिया डॉक्टर, डॉ. नीलेश ने भी AIIMS में आत्महत्या कर ली थी।
बारिश के बीच ताबूत में कील ठोका
जानकारी के लिए बता दें कि उस दौरान भी नीलेश के बॉडी को हरियाणा भेजने के लिए ठीक से उनके शव को सील नहीं किया गया था। यहां तक की ताबूत के साइज के अनुसार उनके शव को पैक किया गया। एयर एंबुलेंस द्वारा एयरपोर्ट पर उनके शव को लेने से इनकार कर दिया गया। उस वक्त एम्स के मेडिकल छात्र जो एयरपोर्ट पर डॉ. नीलेश के परिजनों को छोड़ने गए थे। उन्होंने ताबूत के साइज को ठीक करने के लिए बारिश के बीच ताबूत में कील ठोका, उनके बॉडी को ठीक से सील की गई। तब जाकर उनके शव को एयर एंबुलेंस से भेजा गया।वहीं एम्स के एक सीनियर डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि संस्थान में काम का बहुत ज्यादा दबाव है। सीनियर डॉक्टरों का व्यवहार भी रेजिडेंट्स और छात्रों के प्रति अच्छा नहीं है।