अपनों पर करम जनता परसितम पटना के.. ट्रैफिक SP साहब ये.. जुल्म ना कीजिये...

अपनों पर करम जनता परसितम पटना के.. ट्रैफिक SP साहब ये.. जुल्म ना कीजिये...

PATNA : जिनके कंधों पर राजधानी पटना के ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू ढंग से चलाने का जिम्मेवारी है. उन्हीं के स्कॉट में चलने वाले गाड़ी का फिटनेस फेल है और वह गाड़ी बेधड़क राजधानी पटना की सड़कों पर दौड़ रही है. ना तो उसको कोई रोकने वाला है. ना तो उसको कोई टोकने वाला. एक तरफ जहां पटना में ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारु किया जा रहा है और कई कड़े नियम परिवहन विभाग और ट्रैफिक के द्वारा लगाया जा रहा है.

 

जिससे व्यवस्था सुधर भी रही है लेकिन ये नियम सिर्फ आम लोग को झेलना पड़ा है. कभी स्कूल के गाड़ियों को पकड़ा जा रहा है तो कभी आम जनता के गाड़ियों को पकड़ा जा रहा है और कभी ऑटों वाले को, लेकिन जिनको यह जिम्मेदारी दिया गया है कि यह परिवहन व्यवस्था को दुरुस्त करें. वही फिटनेस फेल गाड़ियों पर घूम रहे हैं और उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

 

ऐसे ही दो गाड़ियों की जानकारी देसवा ट्रांसपोर्ट न्यूज़ को मिला. जिसकी हकीकत जानने के लिए हमने एम परिवहन पर उस गाड़ी के बारे में जानकारी ली तो पता चला कि वह दोनों गाड़ी का पेपर फेल है. उसके बावजूद वह पटना ट्रैफिक एसपी के स्कॉट में चल रही है. सबसे पहले आपको बताते हैं पहले गाड़ी के बारे में. जिसका नंबर BR 01PN 3332 है. उस गाड़ी के ऊपर एसपी लाइन एंड सेक्रेट्री लिखा है. इस गाड़ी का जब देसवा ट्रांसपोर्ट न्यूज़ ने एम परिवहन पर चेक किया तो पता चला कि इस गाड़ी का फिटनेस फेल है. वही नियम को ताख पर रखते हुए गाड़ी के आगे बंपर भी लगाया गया है. जो गलत है. तीसरा इस गाड़ी का व्यवसायिक रजिस्ट्रेशन किया गया है. इस गाड़ी का कन्वर्जन है पर परमिट नहीं है.

अब सवाल उठता है कि - 

क्या यह नियम आम जनता के लिए है?
क्या ट्रैफिक और परिवहन विभाग के अधिकारियों के लिए यह नियम लागू नहीं होता है?
कैसे कोई गाड़ी बड़े अधिकारीयों के स्कॉट में चल रहा है जिसका पेपर फेल है?
क्या इन गाड़ियों को चेक करने वाला कोई नहीं है?

वहीं, दूसरी गाड़ी के बारे में भी आपको बताते हैं. जिसका नंबर BR01HD8479 है. जब इस गाड़ी के बारे में देसवा ट्रांसपोर्ट न्यूज़ में एम परिवहन पर चेक किया तो पता चला कि इस गाड़ी का प्रदूषण फेल है और यह गाड़ी एक प्राइवेट नंबर से रजिस्टर्ड है. इस गाड़ी का मालिक तुलसीराम है. 

अब सवाल उठता है कि - 

जब गाड़ी का प्रदूषण फैल है तो यह गाड़ी एसपी के स्कॉट में कैसे चल रही है?
जब तक गाड़ी पीले रंग यानी कमर्शियल वाहन में नहीं है तो उसका अनुबंध कैसे हुआ?
पटना में हजारों सीसीटीवी कैमरा लगाया गया है उसके बावजूद भी पटना में ऐसे गाड़ियों के ऊपर अभी तक कोई फाइन क्यों नहीं किया गया है?
परिवहन विभाग के अधिकारी हो या पटना ट्रैफिक यह सिर्फ नेताओं, मध्यम वर्गीय लोग, स्कूल में चलने वाले गाड़ी और ऑटो को ही अपना निशाना क्यों बनाते हैं?

जिस तरीके से पटना के ट्रैफिक एसपी अपराजिता लोहान लोगों को ट्रैफिक नियमों को लेकर अवेयर करते हैं. वह बहुत ही सराहनीय है. देसवा ट्रांसपोर्ट न्यूज़ पटना के ट्रैफिक एसपी से आग्रह करता है कि आप इस मामले को संज्ञान में ले और पता करें कि क्या सच में यह दोनों गाड़ी का पेपर फेल है. उसके बावजूद भी इसका परिचालन बेधड़क किया जा रहा है. अगर ऐसा हो रहा है तो जांच कर इसमें संलिप्त लोगों की पहचान कर उनके ऊपर सख्त कार्रवाई की जाए ताकि लोगों के अंदर यह कड़ा संदेश जाए कि अगर नियमों का पालन जो कोई नहीं करेगा. उसके ऊपर कार्रवाई होगी. चाहे वह कितना भी रसूखदार हो या वह आम इंसान.

REPORT - KUMAR DEVANSHU