पटना के मसौढ़ी में कुत्ते के नाम पर जारी हुआ आवासीय प्रमाण पत्र, DM ने दिए जांच के आदेश
बिहार की राजधानी पटना के मसौढ़ी अंचल में एक कुत्ते के नाम पर आवासीय प्रमाण पत्र जारी होने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। प्रमाण पत्र में नाम - डॉग बाबू, पिता का नाम - कुत्ता बाबू और माता का नाम - कुटिया देवी दर्ज है। जैसे ही यह मामला सार्वजनिक हुआ, प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया।पटना के जिलाधिकारी त्याग राजन ने इस गंभीर गड़बड़ी पर संज्ञान लेते हुए मसौढ़ी अनुमंडलाधिकारी को जांच का निर्देश दिया है। डीएम ने 24 घंटे के भीतर विस्तृत रिपोर्ट सौंपने...

बिहार की राजधानी पटना के मसौढ़ी अंचल में एक कुत्ते के नाम पर आवासीय प्रमाण पत्र जारी होने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। प्रमाण पत्र में नाम - डॉग बाबू, पिता का नाम - कुत्ता बाबू और माता का नाम - कुटिया देवी दर्ज है। जैसे ही यह मामला सार्वजनिक हुआ, प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया।पटना के जिलाधिकारी त्याग राजन ने इस गंभीर गड़बड़ी पर संज्ञान लेते हुए मसौढ़ी अनुमंडलाधिकारी को जांच का निर्देश दिया है। डीएम ने 24 घंटे के भीतर विस्तृत रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
सोमवार को ट्वीट करते हुए DM ने बताया,
जिलाधिकारी ने 24 घंटे के अंदर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। मसौढ़ी अनुमंडलाधिकारी ने बताया कि किसी ने फर्जी तरीके से आवेदन कराया है। उन्होंने कहा कि वे इसकी गहराई से जांच कर रहे हैं।जिलाधिकारी ने सोमवार को ट्वीट करके बताया कि मसौढ़ी अंचल में 'डॉग बाबू' के नाम से रेजिडेंशियल सर्टिफिकेट जारी हुआ है। मामला संज्ञान में आने के बाद इसे रद्द कर दिया गया है।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा? अधिकारी ने बताया
मसौढ़ी अनुमंडलाधिकारी ने बताया कि यह मामला फर्जी तरीके से किए गए आवेदन का है। उन्होंने कहा-यह मामला अब गंभीरता से जांच में है। सिस्टम में देखने पर सर्टिफिकेट रिजेक्टेड स्थिति में दिख रहा है, जबकि इसे आवेदन के समय ही रिजेक्ट हो जाना चाहिए था।"यह प्रमाण पत्र 24 जुलाई 2025 को मसौढ़ी अंचल कार्यालय द्वारा जारी किया गया था। इसमें उल्लेख है-"प्रमाणित किया जाता है कि डॉग बाबू, पिता – कुत्ता बाबू, माता – कुटिया देवी, ग्राम – काउली चक, वार्ड संख्या – 15, डाकघर – मसौढ़ी, थाना – मसौढ़ी, जिला – पटना, बिहार राज्य के स्थायी निवासी हैं।"इस दस्तावेज़ पर प्रमाण पत्र संख्या BRCCO/2025/15933581 दर्ज है और उस पर राजस्व अधिकारी मुरारी चौहान की डिजिटल सिग्नेचर भी मौजूद है।
प्रशासन की साख पर सवाल
बता दें कि इस मामले ने ई-गवर्नेंस और प्रमाण पत्रों की प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आम नागरिकों के लिए जहां प्रमाण पत्र बनवाना अब भी चुनौती बना रहता है, वहीं इस तरह का फर्जीवाड़ा प्रशासनिक लापरवाही और सिस्टम की कमजोरियों को उजागर करता है।