बिहार में पहली CAA के तहत सुमित्रा प्रसाद को मिली नागरिकता, 40 साल से वीजा पर रहने को थीं मजबूर
ARA : पूरे देश में CAA को लेकर विवाद चल रहा है. इस बीच एक बड़ी खबर बिहार से निकाल के सामने आ रही है. जहां आरा के रहने वाली सुमित्रा प्रसाद को CAA के तहत भारत की नागरिक नागरिकता प्रदान की गई है. सुमित्रा प्रसाद जो पिछले 40 वर्षों से भारतीय नागरिकता के लिए प्रयासरत थी. अब तक वीजा पर रह रही सुमित्रा की राह नागरिकता संशोधन कानून के जरिए आसान हुई. 3 जनवरी 2025 से सुमित्रा भारत की नागरिक बन चुकी है.
बिहार में CAA के तहत किसी विदेशी को भारत की नागरिकता देने का यह पहला मामला है. सुमित्रा ने स्वीकार किया कि बांग्लादेश में हिन्दुओं को इस्लामी चरमपंथी प्रताड़ित करते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 5 वर्ष की उम्र में सुमित्रा प्रसाद उर्फ़ रानी शाहा बांग्लादेश में अपनी बुआ के घर गई थीं. यहाँ जाने की वजह सुमित्रा के पिता की खराब आर्थिक स्थिति थी. सुमित्रा की बुआ बांग्लादेश के राजशाही जिले में रहती थीं. साल 1971 में पाकिस्तान का विभाजन हुआ. इस दौरान काफी उथल-पुथल रही और सुमित्रा वहीं रह गईं.
सुमित्रा बताती हैं कि बांग्लादेश में हिन्दुओं को अच्छी नजर से नहीं देखा जाता है. चरमपंथियों की आए दिन की प्रताड़ना से सुमित्रा 1985 में वापस भारत आ गईं. इसके बाद सुमित्रा कभी लौट कर बांग्लादेश नहीं गईं. जब सुमित्रा भारत आईं तब उनकी उम्र 20 साल थी. भारत लौट कर वो अपने पिता के पास कटिहार चली गईं. 1985 में सुमित्रा का विवाह आरा के परमेश्वर से हुआ. सुमित्रा के पति होम एप्लायंस की दुकान चलाते हैं. शादी के बाद सुमित्रा 3 बेटियों की माँ बनीं.
साल 2010 में सुमित्रा के पति की बीमारी से मौत हो गई. बांग्लादेश से लौटने के बाद से ही सुमित्रा भारत की नागरिकता के लिए प्रयासरत थीं. वह हर साल वीजा के कार्यालयों के चक्कर लगाती थीं. सुमित्रा बताती हैं कि बिहार में उनके मोहल्ले के ही तमाम लोग अक्सर बांग्लादेश वापस चले जाने की नसीहत दिया करते थे. वीजा में देरी हो जाने की वजह से उनको साल 2023 में पुलिस ने भी यही सलाह दी थी. सुमित्रा को कुछ लोगों ने कोर्ट-कचेहरी के चक्कर में फँसने और जेल आदि जाने की बातों से डराया भी था.
REPORT - KUMAR DEVANSHU