ओडिशा का बालासोर रेल हादसा सरकार और रेल मंत्रालय के गाल पर तमाचा. बताइये प्रधानमन्त्री जी कैसे चलेगी बुलेट ट्रेन
पटना:ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसा में 300 से ज्यादा लोगों की मौत की बात सामने आ रही है... सूत्रों की माने तो ये आंकड़ा और बढ़ सकता है... दो ट्रेनों के पटरी से उतरने और मालगड़ी से टकराने के बाद ये हादसा हुआ... अब से चार दसक पहले भी बिहार में ट्रेन हादसा हुआ था जिसमे लगभग 300 लोगों की मौत का आकड़ा दिया गया था लोगों के मुताबिक ट्रेन हादसे में 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी... ट्रेन हादसे तो उसके बाद भी हुए मगर कभी इतनी संख्या में घर नहीं उजड़े... उसके बाद सरकार का रेल मंत्रालय एक बड़ा दावा करके खुद का पीठ थपथपाना शुरू किया... रेल मंत्रालय ने दावा कर दिया कि अब रेल हादसे नहीं होंगे क्योंकि सुरक्षा कवच खोज लिया गया है... लेकिन इन तमाम दावों पर बड़ा तमाचा साबित हुआ बालासोर रेल हादसा...अब सरकार और उसका मंत्री मंडल सुरक्षा कवच नहीं इस्तेमाल होने की बात कर रही है...लेकिन सवाल ये है कि तमाम बयानबाजियां घटना के बाद क्यों होती है... और क्या ये सरकार की ओछी मानसिकता को नहीं दर्शाती...
कोलकाता के शालीमार से चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस, बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस और मालगाड़ी की टक्कर हो गई...और ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम दर्दनाक ट्रेन हादसे ने देश का दिल दहला दिया... ट्रेन दुर्घटना में मालगाड़ी के कई डिब्बे पटरी से उतर गए... एक्सप्रेस ट्रेनों के डिब्बों के परखच्चे उड़ गए... इस हादसे में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई...1000 से अधिक लोग जख्मी हो गए जिनका इलाज चल रहा है... शवों की शिनाख्त के लिए परिजन इधर-उधर भटक रहे हैं... जब आंखों के सामने मंजर सामने आता है तो रूह कांप जाता है... रेल हादसे की तस्वीर डराने लगती है...
इन सब बातों के बीच मै आप सबको वो मंजर याद दिलाना चाहता हूं जब 1981में भीषण रेल हादसा हुआ था...बागमती नदी में पैसेंजर ट्रेन की सात बोगियां गिर गई थी...इस हादसे में लगभग 800 लोगों की जान जाने की बात कही गई थी... तब से लगायत अब तक यानी 1981 से 2023 के बिच कई बड़े रेल हादसे हुए... बता दें कि सिर्फ ओडिशा में ही इससे पहले पांच हादसे हुए... 21जनवरी 2017 को, 16 जनवरी 2020, 21 नवम्बर 2022 को, 23 अगस्त 2022 को, 14 फरवरी 2009 को और फिर अबतक का सबसे बड़ा हादसा शुक्रवार की रात...जिसने झकझोर कर रख दिया...
इस हादसे के बाद सरकार से लेकर सरकारी तंत्र सभी जग गए हैं...देश के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी घटनास्थल के लिए निकल गए हैं...लेकिन सवाल ये है कि ये जगना भी क्या जगना जब सैकड़ो घरों के चिराग बुझ गए...इस शोक संतप्त सांत्वना का क्या मतलब? सवाल ये भी कि देश के प्रधान मंत्री बुलेट ट्रेन का ख़्वाब बन रहे हैं...क्या ऐसे व्यवस्था के भरोसे...सवाल तो बहुतेरे हैं जिनका जवाब देना मुश्किल है...
रिपोर्ट : कुमार कौशिक