परिवहन विभाग पटना DTO के प्रोग्रामर सुधांशु दुबे ने मुजफ्फरपुर अपना ट्रांसफर कितने में खरीदा, जानिए पूरी स्टोरी 

परिवहन विभाग पटना DTO के प्रोग्रामर सुधांशु दुबे ने मुजफ्फरपुर अपना ट्रांसफर कितने में खरीदा, जानिए पूरी स्टोरी 

PATNA : बिहार सरकार ने परिवहन विभाग में बड़े पैमाने में पर फेरबदल कर दी है. राज्य सरकार ने सूची जारी कर ट्रास्फर-पोस्टिंग की है. सरकार ने उन कर्मचारियों का तबादला किया जो पिछले तीन साल से एक ही पद पर बैठे थे. जानकारी के मुताबिक, कुछ कर्मचारियों को प्रशासनिक कारण से भी इधर से उधर किया गया है. इनमें  31 लिपिक, 27 प्रोग्रामर, 353 डाटा इंट्री ऑपरेटर, शामिल हैं. इन पूरे लिस्ट सबसे आश्चर्य करने वाला नाम है प्रोग्रामर सुधांशु दुबे जी का, क्योंकि इस ट्रांसफर को लेकर देसवा ट्रांसपोर्ट ने भी बहुत पहले एक खुलासा किया था. जिसमें पटना के प्रोग्रामर सुधांशु दुबे को मुजफ्फरपुर ट्रांसफर किया जा सकता है, और हुआ भी कुछ ऐसा ही, प्रोग्रामर सुधांशु दुबे जी का पटना से मुजफ्फरपुर ट्रांसफर हो गया. अब इससे सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि प्रोग्रामर सुधांशु दुबे जी का विभाग में कितना रुतबा है या यूं कहें कितना दबदबा है. खैर, उस समय इस खबर को हमने बहुत ही प्रमुखता से दिखाया था और आज इस खबर की पुष्टि भी विभाग के द्वारा दे दी गई है.

अब आपको समझना होगा कि, यह प्रोग्रामर सुधांशु दुबे हैं कौन? आपको बता दे, यह पटना डीटीओ कार्यालय में अनुबंध पर काम करते हैं. जिनकी मासिक आय 25 से 30 हजार होगी. यह अनुमानित है, लेकिन इनका दबदबा पटना डीटीओ कार्यालय में DTO से काम नहीं है. सूत्रों की माने तो इस ट्रांसफर के लिए सुधांशु दुबे जी ने अपने विभाग के वरिये अधिकारियों को करीब 15 लाख की रिश्वत दी है. जिस वजह से उनका ट्रांसफर पटना से मुजफ्फरपुर कर दिया गया है. 

देसवा ट्रांसपोर्ट ने भी बार-बार इस खबर को चलाया और बताया कि प्रोग्रामर सुधांशु दुबे मुजफ्फरपुर स्थानांतरित होकर जा सकते हैं और ऐसा हुआ भी. अब आपको बताते हैं कि, प्रोग्रामर सुधांशु दुबे आखिरकार क्या-क्या करते हैं तो आप समझ लीजिए कि, AP, फर्जी ओनर बुक बनवाना, फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना, ऑफिस अटेंडेंस में हेरा-फेरी करना यह इनका प्रमुख काम है. जिसमें इन्होंने महारत हासिल कर ली है. अब यह सौभाग्य पटना के बाद मुजफ्फरपुर कार्यालय को मिलेगा. अब मुजफ्फरपुर के DTO कार्यालय में लोग भी फर्जी तरीके से कोई काम करवाना चाहते हैं वो विभाग के अंदर तो वह अब प्रोग्रामर सुधांशु दुबे से जाकर मिल सकते है. 

यहां एक सवाल यह उठता है कि, महज  25 से 30 हजार कमाने वाला अनुबंध पर काम करने वाला व्यक्ति कैसे 15 लाख रुपए का रिश्वत दे सकता है? यह एक जांच का विषय है. विभाग को पता करना चाहिए कि यह इतना सारा रुपए कहां से लाया? इसकी सही तरीके से जांच होनी चाहिए. ऐसा विभाग में कहा जाता है कि, पटना डीटीओ कार्यालय में प्रोग्रामर सुधांशु दुबे ने तकरीबन 5 करोड रुपए कमाए हैं. 

खैर, यह आरोप है. इस पर विभाग को संज्ञान लेना चाहिए और प्रोग्रामर सुधांशु दुबे पर जांच करनी चाहिए. अब देखना होगा कि, विभाग प्रोग्रामर सुधांशु दुबे पर क्या कार्रवाई करती है या नहीं करती है, लेकिन देसवा ट्रांसपोर्ट हर वो खबर आपके सामने लाएगा जिससे आम जनता को सरोकार है. 

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REPORT - DESWA NEWS