बिहार में शराबबंदी बेअसर? पटना में 10 लाख की विदेशी शराब बरामद, अलग-अलग क्षेत्रों में करनी थी सप्लाई, दो तस्कर गिरफ्तार

बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद भी अवैध शराब का कारोबार थमता नहीं दिख रहा। बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद भी तस्कर तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। ताजा मामला चौंकाने वाला है। शास्त्रीनगर थाने की पुलिस ने पुनाइचक इलाके से विदेशी शराब की बड़ी खेप बरामद की है। जब्त शराब की अनुमानित कीमत लगभग 10 लाख से अधिक आंकी जा रही है।बिहार सरकार की सख्त शराबबंदी के बावजूद उत्तर....

बिहार में शराबबंदी बेअसर? पटना में 10 लाख की विदेशी शराब बरामद, अलग-अलग क्षेत्रों में करनी थी सप्लाई, दो तस्कर गिरफ्तार

बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद भी अवैध शराब का कारोबार थमता नहीं दिख रहा। बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद भी तस्कर तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। ताजा मामला चौंकाने वाला है। शास्त्रीनगर थाने की पुलिस ने पुनाइचक इलाके से विदेशी शराब की बड़ी खेप बरामद की है। जब्त शराब की अनुमानित कीमत लगभग 10 लाख से अधिक आंकी जा रही है।बिहार सरकार की सख्त शराबबंदी के बावजूद उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से शराब की तस्करी लगातार हो रही है। यह मामला एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि क्या मौजूदा निगरानी प्रणाली पर्याप्त है?

दो आरोपी गिरफ्तार

बता दें कि इस धंधे में शामिल दो आरोपियों दिनेश कुमार (32) और पीयूष कुमार (21) को भी मौके से पकड़ा गया है। दिनेश कौवाकोल नवादा और पीयूष देवरिया उतर प्रदेश का रहने वाला है। पुलिस की पूछताछ में दोनों अपराधियों ने बताया है कि उतर प्रदेश से शराब पटना लाई गई थी। पुनाइचक स्थित पप्पू किराना दुकान के गोदाम में रखकर पटना के अलग-अलग क्षेत्रों में सप्लाई करनी थी।वहीं शास्त्रीनगर थानेदार अमर कुमार ने बताया कि इनका नेटवर्क दूसरे राज्यों में भी फैला है। गुप्त सूचना मिली थी कि शराब की बड़ी खेप आई है। इसी आधार पर छापेमारी की गई। पूछताछ में दूसरे लोगों की भी संलिप्तता भी सामने आई है।

तस्करी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं

उन्होंने बताया कि जिस गोदाम में शराब रखी जा रही थी, उसे सील किया जाएगा। रात के अंधेरे में सभी शराब उतार रहे थे, जैसे वहां पुलिस पहुंची, सभी भागने लगें। खदेड़कर पकड़ लिया गया। गाड़ी भी जब्त कर ली गई है। जानकारी के लिए बता दें कि बिहार में 2016 से शराबबंदी लागू है, लेकिन इसके बावजूद तस्करी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।वहीं यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि सरकार की निगरानी व्यवस्था और ज़मीनी स्तर पर क्रियान्वयन में खामियाँ हैं, जिन्हें तत्काल दुरुस्त करने की आवश्यकता है।