बिहार के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के डुप्लीकेसी नामांकन पर विभाग ने लिया बड़ा एक्शन, 1 लाख से अधिक छात्रों का नाम कटा, पाठक के एक्शन पर उठा सवाल!

बिहार के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के डुप्लीकेसी नामांकन पर विभाग ने लिया बड़ा एक्शन, 1 लाख से अधिक छात्रों का नाम कटा, पाठक के एक्शन पर उठा सवाल!

PATNA : बिहार के शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों पर बड़ा एक्शन लिया है. आपको बता दे, विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने 2 सितंबर को जिलाधिकरियो को निर्देश जारी किया था और कहा था कि, 15 दिनों तक विद्यालय में अनुपस्थित रहने पर छात्र का नामांकन रद्द कर दिया जाए. अगर कोई छात्र तीन दिनों तक लगातार उपस्थित नहीं है तो उसे प्रधानाध्यापक के द्वारा नोटिस जारी किया जाए. इसको लेकर जिला अधिकारियों को निर्देश था कि,  संबंधित जिला शिक्षा पदाधिकारी के माध्यम से कार्रवाई सुनिश्चित की जाए. यह भी कहा गया था कि, विद्यार्थी की ट्रैकिंग की जाए और इस बात की जानकारी ली जाए कि उसका एक ही साथ दो विद्यालयों में नामांकन तो नहीं कर दिया गया है.

 

इसी आदेश के बाद शिक्षा विभाग ने इस पर काम किया और एक लाख बच्चों को का नामांकन रद्द कर दिया गया है. दरअसल, एक से अधिक जगहों पर छात्रों का नामांकन होने के कारण और नामांकन डुप्लीकेशन के परंपरा को खत्म करने के मकसद के चलते इस कदम को उठाया गया है. जिले से जो रिपोर्ट प्राप्त हुई है. उसके अनुसार सबसे ज्यादा पश्चिम चंपारण और अररिया जिले में नाम काटे गए हैं. इन जिलों में करीब 10-10 हज़ार बच्चों का नाम काटा गया है.

 

अब इस फैसले के बाद विरोध होना भी शुरू हो गया है. बेतिया के चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने कहा कि, केके पाठक का आदेश  RTE 2009 का उल्लंघन है. शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 एवं संविधान की धारा-2 के अंतर्गत 14वर्ष तक के बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा लेना दिलाना मौलिक अधिकार एवं कर्तव्य है. बालक वर्णित अधिकारों से वंचित करना कानून को घोर उल्लघन है. अतः इस संदर्भ मे समिति सर्वसम्मति से निर्णय लेते हुए. आप को निवेदन करता है कि, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी हौरिया एवं सबंधित विद्यालय के प्राध्यापक को दिनांक 19/09/ 2023 को दोपहर 02:30 बजे तक विद्यालय के कक्षासम्म उपस्थिति पंजी एवं मील पंजी के साथ समिति के समय सह उपस्थित कराये. जिससे की यह कि किन परिस्तिथियों में विद्यालय प्रशासन द्वारा बालक को शिक्षा के अधिकार से वंचित किया जा रहा है.

 

REPORT – KUMAR DEVANSHU