तिरुपति बालाजी के प्रसाद में मिलावट, आस्था से हुआ खिलवाड़, जांच में जुटी प्रशासन

तिरुपति बालाजी के प्रसाद में मिलावट, आस्था से हुआ खिलवाड़, जांच में जुटी प्रशासन

DESK : भारत के साउथ में भगवान व्यंकटेश्वर यानी तिरुपति बालाजी का एक खास महत्व है. पूरे भारत में इस मंदिर से सबका एक आस्था जोड़ा है. हर कोई इस मंदिर में जाकर भगवान से अपने लिए मांगता है और जब उसकी इच्छा पूरी होती है, तो वह अपना बाल दान करता है. कहा जाता है कि, तिरुपति बालाजी सबसे अमीर भगवान है. भारत में जितने भी मंदिर हैं उन सबसे ज्यादा चढ़ावा यही चढ़ता है. तिरुपति बालाजी ट्रस्ट बहुत बड़ा है, लेकिन आज तिरुपति बालाजी के प्रसाद में मिलावट करके पूरे हिंदुओं के आस्था से खिलवाड़ किया गया है. इससे पूरे भारत में रोष है. हर हिंदू बालाजी तिरुपति बालाजी मंदिर पर बहुत ही आस्था रखता है और वहां जिस तरीके से तिरुपति बालाजी के प्रसाद में जानवरों की चर्बी का मामला सामने आया है. उससे सभी लोग आहत है. यह आस्था है और इससे सभी लोग जुड़े हैं.

 

सबसे पहले आपको समझना होगा कि, आखिर ये पूरा मामला है क्या? 

दरअसल, पिछले कई वर्षों से बालाजी के प्रसाद में मिलावट होने की बात कही जा रही थी. तब के मुख्यमंत्री रहे जगन मोहन रेड्डी इसके खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं किये, लेकिन जैसे ही सत्ता परिवर्तन हुआ. वैसे ही आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू ने इस मुद्दा को सबसे पहले उठाया और तिरुपति बालाजी में बनने वाले लड्डू में जो घी इस्तेमाल होता है उसकी जांच का आदेश दिया और जब इस जांच का रिपोर्ट सामने आया उसने पूरे भारत को हिला के रख दिया. रिपोर्ट में बीफ टैलो यानी बीफ से तैयार फैट और लार्ड यानी सुअर के मांस से तैयार फैट के इस्तेमाल से घी तैयार किया जा रहा था और इसी घी से प्रसाद का लाडू बनाया जा रहा था. बस इसके बाद हड़कंप मच गया. राजनीति से लेकर संत बिरादरी रोष में आ गए और दोषियों के खिलाफ फांसी की सजा की मांग करने लगे. जब ये मामला तूल पकड़ने लगा तो हर पार्टी अपनी राजनीति करने में लग गए. ऐसा कहे कि, बीजेपी से लेकर कांग्रेस तक इस मुद्दे पर अपना रोष दिखा रहे हैं. तिरुपति बालाजी के लड्डू में जानवर की चर्बी वाले विवाद के बाद केंद्र सरकार भी एक्शन में आ गई.

 

अब इस पर सवाल यह है कि? 
सारा विवाद कब और कैसे हुआ? पहले कौन सा घी इस्तेमाल होता था?  बाद में कौन सा घी इस्तेमाल होने लगा? नई कंपनी को ठेका कैसे मिला? 

चंद्रबाबू नायडू की सरकार इसका पूरा व्योरा पेश कर रही है, लेकिन इसके पर पूर्व सीएम जगनमोहन रेड्डी ने इस पूरे आरोप को खारिज किया. बल्कि उनकी पार्टी वीएसआर कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया है. आपको बात दें, मंदिर का ट्रस्ट हर रोज 3 लाख से ज्यादा लड्डू तैयार करता है, जिसमें हर रोज 10 हजार किलो घी का इस्तेमाल होता है और 200 से ज्यादा ब्राह्मण मिलकर इस लड्डू को बनाते हैं. तिरुपति बालाजी के मंदिर में मिलने वाला एक लड्डू 75 रुपए का होता है, लेकिन जिस लड्डू में कभी कोई शिकायत नहीं मिली थी, उसमें जानवरों की चर्बी वाला घी कब और कैसे इस्तेमाल होने लगा ? ये जांच का विषय है. वही, जगन मोहन रेड्डी ने सीएम चंद्रबाबू नायडू के आरोपों की जांच के लिए एक न्यायिक कमेटी गठित करने की मांग की है. अब देखना है कि, इस पूरे मामले में क्या होता है.

REPORT - KUMAR DEVANSHU