बिहार चुनाव से पहले बदलने लगा किशनगंज का राजनीतिक समीकरण,दो अलग-अलग पार्टी के दिग्गज पूर्व विधायकों ने छोड़ी पार्टी

बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होना है। बिहार चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल पूरी तरह से सक्रिय हो चुके हैं।सियासी दल पूरी तैयारी के साथ  जनता के बीच जाने के लिए तैयारी को अंतिम रूप दे रहे हैं। वहीं चुनाव की तैयारी के साथ साथ बिहार में नेताओं का पाला बदलने और इस्तीफा देने का सिलसिला भी जारी है। नेता अपने भविष्य को तलाशते हुए एक पार्टी से दूसरे पार्टी में शामिल हो रहे ..

बिहार चुनाव से पहले बदलने लगा किशनगंज का राजनीतिक समीकरण,दो अलग-अलग पार्टी के दिग्गज पूर्व विधायकों ने छोड़ी पार्टी

बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होना है। बिहार चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल पूरी तरह से सक्रिय हो चुके हैं।सियासी दल पूरी तैयारी के साथ  जनता के बीच जाने के लिए तैयारी को अंतिम रूप दे रहे हैं। वहीं चुनाव की तैयारी के साथ साथ बिहार में नेताओं का पाला बदलने और इस्तीफा देने का सिलसिला भी जारी है। नेता अपने भविष्य को तलाशते हुए एक पार्टी से दूसरे पार्टी में शामिल हो रहे हैं और इस्तीफा दे रहे हैं। इसी कड़ी में हाल के दिनों दो अलग-अलग पार्टी के दिग्गज पूर्व विधायकों के अपने-अपने पार्टी से इस्तीफा देने से किशनगंज जिला में राजनीतिक समीकरण अभी से बदलने का संकेत शुरू हो गया है। ऐसे में आने वाले दिनों में किशनगंज जिला में विधानसभा चुनाव काफी दिलचस्प होने की उम्मीद है।

कांग्रेस को एक बड़ा झटका

दरअसल बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक रहे तौसीफ आलम कांग्रेस पार्टी को छोड़कर असदुद्दीन ओवैसी के एआईएमआईएम पार्टी के साथ जुड़ने से कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है। पार्टी के पूर्व विधायक तौसीफ आलम ने गुरुवार को असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का दामन थाम लिया है। हैदराबाद में उन्होंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की है। पार्टी सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी और बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान की मौजूदगी में तौसीफ आलम मजलिस पार्टी में शामिल हुए है। 

हाथ छोड़कर पतंग की उड़ान भरना बेहतर समझा

वहीं पिछली बार 2020 में ओवैसी के पतंग छाप से चुनाव लड़ने वाले अंजार नईमी के विधायक बनने के कुछ दिन बाद एआईएमआईएम से इस्तीफा देकर राजद का दामन थाम लिया था। जिस कारण महागठबंधन का हिस्सा होने के कारण अंजार नईमी का महागठबंधन की ओर से राजद का प्रत्याशी होना तय माना जा रहा है।दरअसल महागठबंधन की ओर से कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े तौसीफ आलम के हार और कांग्रेस सांसद डॉ. जावेद अख्तर के साथ नहीं बनने के कारण विधानसभा में कांग्रेस से टिकट नहीं मिलना पक्का माना जा रहा था। बता दें कि विधान सभा चुनाव में वर्तमान समीकरण के तहत कांग्रेस को मिलने वाली सीट के मद्देनजर और कांग्रेस पार्टी में अपनी वर्तमान पकड़ को देखते हुए पूर्व विधायक तौसीफ आलम ने समय से पूर्व कांग्रेस का हाथ छोड़कर पतंग की उड़ान भरना बेहतर समझा। 

मुजाहिद आलम ने इस्तीफा दिया

उधर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी समझे जाने वाले कोचाधामन के पूर्व विधायक किशनगंज के कद्दावर नेता मास्टर मुजाहिद आलम ने वक्फ कानून लागू होने के कारण जदयू से करीब 15 साल तक जुड़े रहने के बाद भी शनिवार को  पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। बता दें कि  वे अभी तक किसी भी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़े हैं। वे अपने समर्थकों से जगह-जगह जाकर भेंट मुलाकात के बहाने आगे की रणनीति बनाने में जुटे हैं। जबकि एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान पुरानी राजनीतिक रंजिश को भुलाकर उन्हें भी पार्टी से जुड़ने का ऑफर दे चुके हैं। वहीं, वे किस पार्टी में जुड़ेंगे स्पष्ट नहीं है, लेकिन उनका विधानसभा चुनाव कोचाधामन से लड़ना लगभग तय माना जा रहा है। इसको लेकर कोचाधामन में भी राजनीतिक समीकरण का हवा बदलने लगा है और वर्तमान विधायक भी क्षेत्र में अपनी सरगर्मी बढ़ा दिए हैं।

प्रत्याशियों की जीत को लेकर अग्नि परीक्षा 

वहीं, प्रो. मुस्सबिर आलम राजद, जदयू, जन अधिकार पार्टी सहित अन्य पार्टियों में भाग्य अजमाने के बाद अब जनसुराज में अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं। वहीं नवगठित हिन्द सेना पार्टी के संस्थापक शिवदीप लांडे किशनगंज का भ्रमण कर लोगों के राजनीतिक रुझान के आंकलन करने में जुटे हैं। इधर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल का गृह जिला किशनगंज होने के कारण विधानसभा चुनाव में भाजपा सहित एनडीए के प्रत्याशियों की जीत को लेकर उनकी अग्नि परीक्षा होनी है।