रामनवमी पर पीएम मोदी की बिहार को बड़ी सौगात,अयोध्या से सीतामढ़ी तक जोड़ने वाले "राम-जानकी पथ" के एलाइनमेंट को मिली मंजूरी

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने रामनवमी के अवसर पर बिहार को एक बड़ी सौगात दी है। माता जानकी की जन्मस्थली सीतामढ़ी को भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या से जोड़ने वाले राम-जानकी पथ के एलाइनमेंट को मंजूरी दे दी गई है। यह ऐतिहासिक फोरलेन सड़क परियोजना धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इस सड़क परियोजना का लक्ष्य दोनों धार्मिक स्थलों को फोरलेन सड़क से जोड़ना..

रामनवमी पर पीएम मोदी की बिहार को बड़ी सौगात,अयोध्या से सीतामढ़ी तक जोड़ने वाले "राम-जानकी पथ" के एलाइनमेंट को मिली मंजूरी
PM MODI

 केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने रामनवमी के अवसर पर बिहार को एक बड़ी सौगात दी है। माता सीता की जन्मस्थली को भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या से जोड़ने वाले राम-जानकी पथ के एलाइनमेंट को मंजूरी दे दी गई है। यह ऐतिहासिक फोरलेन सड़क परियोजना धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इस सड़क परियोजना का लक्ष्य दोनों धार्मिक स्थलों को फोरलेन सड़क से जोड़ना है। इस 240 किलोमीटर लंबी परियोजना पर लगभग 6155 करोड़ रुपये की लागत आएगी।

अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह भी मौजूद 

माता जानकी की जन्मस्थली सीतामढ़ी को भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या से जोड़ने वाले राम-जानकी पथ उत्तर प्रदेश-बिहार बॉर्डर के समीप मेहरौना घाट से शुरू होगा और सीवान, सारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर होते हुए सीतामढ़ी के भिट्ठा मोड़ तक जाएगा। बता दें कि केंद्रीय सड़क एवं परिवहन राजमार्ग मंत्रालय की एलाइनमेंट अप्रूवल कमेटी ने हाल ही में इस मार्ग को आंशिक संशोधन के साथ हरी झंडी दी। मंत्रालय के सचिव वी उमाशंकर की अध्यक्षता में हुई बैठक में बिहार के पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह भी मौजूद थे।

जल्द ही जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होगी

फिलहाल, मेहरौना से सीवान और सीवान से मशरख तक के हिस्से का टेंडर जारी हो चुका है। वहीं मशरख से चकिया और चकिया से भिट्ठा मोड़  के एलाइनमेंट को भी मंजूरी मिल गई है। जल्द ही जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होगी और इसके बाद टेंडर प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।
बता दें कि सीतामढ़ी बाईपास को इस तरह से डिजाइन किया जाएगा कि पुनौराधाम सीधे मुख्य सड़क से जुड़ जाएगा, जिससे श्रद्धालुओं को सीधा लाभ मिलेगा। पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इसके माध्यम से स्थानीय रोजगार में वृद्धि होगी। सांस्कृतिक एकता को बल मिलेगा।