पटना में बालू माफियाओं में हड़कंप, सड़क पर उतरे सिटी एसपी, कई अवैध ट्रक जब्त
PATNA : बिहार में बालू का अवैध कारोबार किया जाता है. ऐसा नहीं है कि इस बात की जानकारी पुलिस-प्रशासन को ना हो. इसके बावजूद भी बिहार में बालू का अवैध कारोबार चल रहा है. प्रशासनिक कार्रवाई और निगरानी के बावजूद बालू माफिया बेखौफ होकर अपना अवैध कारोबार जारी रखे हुए हैं. राजधानी पटना के सोन नदी तटवर्ती क्षेत्रों में शुक्रवार रात को प्रशासन ने बालू माफियाओं के खिलाफ एक विशेष अभियान चलाकर कई अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाने का प्रयास किया. इस कार्रवाई का नेतृत्व पटना पश्चिम के नगर एसपी ने किया.
आपको बता दें, पटना हाईकोर्ट के वकील मणिभूषण सेंगर ने पालीगंज अनुमंडल क्षेत्र में चल रहे बालू माफियाओं के अवैध कारोबार का खुलासा किया था. उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री को प्रमाणित शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया. खगौल स्थित सोन नहर प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता ने एसपी को पत्र लिखकर माफियाओं द्वारा नहर को काटने और रास्ता बनाने की जानकारी दी. अवैध खनन के खिलाफ पहली कार्रवाई 28 नवंबर को की गई थी, लेकिन इसके बावजूद माफियाओं की गतिविधियां जारी रहीं. 6 दिसंबर की रात को सैकड़ों पुलिसकर्मियों के साथ चलाए गए. इस अभियान के दौरान कई अवैध बालू लदे ट्रकों को जब्त किया गया. इस कार्रवाई से माफियाओं के अवैध धंधे को कुछ हद तक झटका लगा है.
प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि, इस तरह के अभियान नियमित रूप से चलाए जाएंगे ताकि बालू माफियाओं की गतिविधियों पर पूरी तरह रोक लगाई जा सके. बालू का अवैध खनन न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि राज्य के राजस्व को भी भारी नुकसान होता है. नदियों के तटवर्ती इलाकों में खनन के कारण मिट्टी कटाव और पारिस्थितिक असंतुलन की समस्या बढ़ रही है. अवैध खनन के कारण सरकार को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ रहा है. बालू माफियाओं की गतिविधियां अक्सर हिंसक घटनाओं और कानून व्यवस्था में बाधा का कारण बनती हैं. पटना में बालू माफियाओं के खिलाफ प्रशासन की यह कार्रवाई एक सकारात्मक कदम है.
हालांकि, इसे प्रभावी बनाने के लिए नियमित छापेमारी और सख्त कानून लागू करने की आवश्यकता है. इसके साथ ही, प्रशासनिक ढांचे में पारदर्शिता लाकर भ्रष्टाचार को समाप्त करना भी अनिवार्य है. राज्य सरकार और प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि, अवैध बालू खनन पर पूरी तरह से लगाम लगे और बालू माफियाओं का नेटवर्क समाप्त हो. इससे न केवल राज्य का राजस्व बढ़ेगा बल्कि पर्यावरणीय और सामाजिक संतुलन भी बना रहेगा.
REPORT - KUMAR DEVANSHU