राजधानी में दीवारें बनी सियासी अखाड़ा:जनसुराज चिपका रही नीतीश -तेजस्वी के चेहरे पर पोस्टर, नियमों की उड़ रही धज्जियां

बिहार विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही महीने शेष हैं और राजधानी पटना की दीवारें चुनावी जंग का अखाड़ा बन गई हैं। शहर के हर मोड़, फ्लाईओवर, चौक-चौराहे और अंडरपास पर सियासी रंग चढ़ाया जा रहा है। राजनीतिक दलों के डिजिटल वॉल पेंटिंग और पोस्टर अब दीवारों को मैदान-ए-जंग बना चुके हैं।सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जहां स्पष्ट रूप से लिखा होता है कि "यहां पोस्टर लगाना मना है", वहां भी राजनीतिक दल खुलेआम पोस्टरबाज़ी कर रहे हैं। यह न सिर्फ नगर निगम नियमों की अवहेलना ....

राजधानी में दीवारें बनी सियासी अखाड़ा:जनसुराज चिपका रही नीतीश -तेजस्वी के चेहरे पर पोस्टर, नियमों की उड़ रही धज्जियां

बिहार विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही महीने शेष हैं और राजधानी पटना की दीवारें चुनावी जंग का अखाड़ा बन गई हैं। शहर के हर मोड़, फ्लाईओवर, चौक-चौराहे और अंडरपास पर सियासी रंग चढ़ाया जा रहा है। राजनीतिक दलों के डिजिटल वॉल पेंटिंग और पोस्टर अब दीवारों को मैदान-ए-जंग बना चुके हैं।सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जहां स्पष्ट रूप से लिखा होता है कि "यहां पोस्टर लगाना मना है", वहां भी राजनीतिक दल खुलेआम पोस्टरबाज़ी कर रहे हैं। यह न सिर्फ नगर निगम नियमों की अवहेलना है, बल्कि यह दर्शाता है कि चुनावी प्रचार के लिए दल कानूनों को ताक पर रखने में भी हिचक नहीं रहे।

 RJD का फोकस: युवाओं और रोजगार पर
बता दें कि RJD की ओर से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बड़े-बड़े पोस्टर लगाए जा रहे हैं जिन पर लिखा है "इस बार सही सरकार" और "मांगे बिहार तेजस्वी सरकार"। इन पोस्टरों में युवाओं और रोजगार पर फोकस किया गया है। वहीं दूसरी तरफ NDA की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एक पोस्टर पर फोटो लगाई गई है। पोस्टरों पर लिखा है- महिलाओं की जय-जयकार, फिर से NDA सरकार और लग रहे उद्योग मिल रहा रोजगार।

जन सुराज की एंट्री: PK का पोस्टर वार
इस युद्ध में अब जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर की भी एंट्री हो गई है। दिलचस्प बात यह है कि जन सुराज के कार्यकर्ता तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के पोस्टरों पर अपने पोस्टर चिपका रहे हैं। प्रशांत किशोर के पोस्टर में अंबेडकर और महात्मा गांधी की तस्वीर लगाई गई है और लिखा है कि इस बार वोट सिर्फ अपने बच्चों के लिए, शिक्षा और रोजगार के लिए।यह साफ तौर पर प्रशांत किशोर के आक्रामक प्रचार की रणनीति को दिखा रहा है। इन पोस्टरों को जानबूझकर अन्य दलों के पोस्टरों के ऊपर लगाया जा रहा है, जिससे यह साफ झलकता है कि जन सुराज खुद को विकल्प के तौर पर पेश कर रही है।

दीवारों पर उतर चुका है चुनावी संग्राम
वहीं देखा जाए तो पटना की दीवारें आजकल सिर्फ ईंट-पत्थर की नहीं, बल्कि राजनीतिक विचारधाराओं, रणनीतियों और वादों की लड़ाई का भी हिस्सा बन चुकी हैं।
पोस्टर की इस लड़ाई में एक तरफ जहां RJD और NDA पारंपरिक मुद्दों पर टिके हैं, वहीं PK की पार्टी नई भाषा और नए प्रतीकों से खुद को अलग साबित करने की कोशिश कर रही है।