जातीय गणना की आंकड़ा आते ही 'बनारस वाला इश्क' फेम बिहार के चर्चित लेखक प्रभात बांधुल्य की त्वरित प्रतिक्रिया सामने आई

जातीय गणना की आंकड़ा आते ही 'बनारस वाला इश्क' फेम बिहार के चर्चित लेखक प्रभात बांधुल्य की त्वरित प्रतिक्रिया सामने आई

पटना डेस्क : बिहार सरकार के जातीय जनगणना की आंकड़ा आते ही 'बनारस वाला इश्क' फेम बिहार के चर्चित लेखक प्रभात बांधुल्य की त्वरित प्रतिक्रिया सामने आई है। प्रतिक्रिया के लिए औरंगाबाद के रहने वाले इस लेखक ने कविता का सहारा लिया है। काव्य की शैली में लेखक ने व्यंग्यात्मक प्रतिक्रिया दी। प्रतिक्रिया के पहले उन्होने भूमिका भी बांधी है।

भूमिका में लेखक ने कहा है कि जब जातीय गणना की बात आई थी तो मैंने कहा था कि दशरथ मांझी के इस राज्य में जात कोड की जरूरत नही, प्रेम के कोड की जरूरत है। मुहब्बत की जरूरत है। आपसी भाईचारें और प्रेम की जरूरत है और भव्य बिहार बनाने की जरूरत है। खैर,  सरकार का अपना दलील है।  आज जातीय आंकड़ा, जातीय गणना का आंकड़ा हम सभी के सामने आ चुका है। तो ऐसी स्थिति में जो मैं समझ पा रहा हूं, जातीय गणना के इस आंकड़ा से, आंकड़ा के सामने आ जाने से हमारा और आपका क्या बदलेगा। राजा को सबकुछ मिलेगा। 


-कविता के पहले लेखक ने अपनी ही कविता की चर्चा भूमिका में की। कहा कि मेरी एक कविता है। दो लाइन है कि "नेताजी का बेटा लंदन पढ़ रहा है। लाठी ले के सोनुआं इहां लंठ बन रहा है।
पढ़े लेखक की जातीय गणना के आंकड़े के आने के बाद की यह कविता-अपनी पुरानी कविता की दो लाइन कहने के बाद लेखक ने कहा है:, तो आम जन को क्या मिल रहा है। यहा मेरी एक कविता है- 

"यहाँ एक राजा रहता है, 

राजा की जात, 
कुम्हार, लोहार, यादव,
कुर्मी, कायस्थ,
ब्राह्मण, भूमिहार, राजपूत नहीं है...
राजा की जात है "राजगद्दी है
वह राजा था और रहेगा 
हर जाति का अपना एक राजा है
जिसने अपने लिए महल बनवाए..
चार-पाँच बड़े मॉल 
कुछ पेट्रोल-पम्प,
कुछ शहरों में अपना फार्म हाउस 
देश और राज्य की राजधानी में अपना रंगीन ठिकाना!!

राजा का बेटा "राज कुँवर" अब तैयार है,
तुम किसी भी जात के हो,
तुम भी तैयार रहो 
ताली बजाने के लिए 
झंडा उठाने के लिए 
और नारा लगाने के लिए 
खूब ज़ोर से "राजगद्दी  ज़िंदाबाद"।
कविता के बाद निष्कर्ष की भी चर्चा-लेखक ने कविता के बाद निष्कर्ष पर भी चर्चा की। कहा कि मेरा कहना है कि जो भी आंकड़ा आ जाएं, जातिगत आंकड़ें आ जाएं, आर्थिक सर्वेक्षण कर लिया जाए, लेकिन सत्ता के इर्द गिर्द वही राजा नजर आएगा। अब हर
जात में एक राजा है, जो पूंजीपति है, बाहुबलि है और वही राजा आपको सत्ता के केंद्र में नजर आएगा और आम जनमानस सोनुआं जैसे लोग सिर्फ ताली बजा सकते है, लाठी उठा सकते है, नारा लगा सकते है।

रिपोर्ट : कुमार कौशिक / दीनानाथ मौआर