झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन ने JMM को छोड़ा,  कहा - हेमंत सोरेन ने सत्ता के लिए अपमान किया 

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन ने JMM को छोड़ा,  कहा - हेमंत सोरेन ने सत्ता के लिए अपमान किया 

RANCHI : पिछले कई दिनों से झारखंड में राजनीतिक हलचल तेज था और कयास लगाया जा रहा था कि, बहुत जल्द पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन JMM को छोड़ देंगे और इस कयास पर आज चम्पाई सोरेन के द्वारा साफ कर दिया गया. उन्होंने औपचारिक ऐलान करते हुए, JMM को छोड़ दिया है. बहुत भावुक होकर चम्पाई सोरेन ने यह फैसला लिया है. उनका कहना है कि, हेमंत सोरेन ने सत्ता के लिए उनको अपमानित किया है. जिस पार्टी को जमीनी स्तर से स्टार्ट किया उस पार्टी में मुझे अपमानित किया गया. जिससे मैं आहत हूं और मैं अब JMMपार्टी को छोड़ रहा हूं.

 

सोशल मीडिया पर चंपई सुरेंद्र ने लिखा है, “आज समाचार देखने के बाद, आप सभी के मन में कई सवाल उमड़ रहे होंगे. आखिर ऐसा क्या हुआ, जिसने कोल्हान के एक छोटे से गांव में रहने वाले एक गरीब किसान के बेटे को इस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया. अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत में औद्योगिक घरानों के खिलाफ मजदूरों की आवाज उठाने से लेकर झारखंड आंदोलन तक, मैंने हमेशा जन-सरोकार की राजनीति की है. राज्य के आदिवासियों, मूलवासियों, गरीबों, मजदूरों, छात्रों एवं पिछड़े तबके के लोगों को उनका अधिकार दिलवाने का प्रयास करता रहा हूं. किसी भी पद पर रहा अथवा नहीं, लेकिन हर पल जनता के लिए उपलब्ध रहा, उन लोगों के मुद्दे उठाता रहा, जिन्होंने झारखंड राज्य के साथ, अपने बेहतर भविष्य के सपने देखे थे.”

चंपाई सोरेन ने लिखा है- “CM के तौर पर काम करते हुए हूल दिवस के अगले दिन, मुझे पता चला कि अगले दो दिनों के मेरे सभी कार्यक्रमों को पार्टी नेतृत्व द्वारा स्थगित करवा दिया गया है. इसमें एक सार्वजनिक कार्यक्रम दुमका में था, जबकि दूसरा कार्यक्रम पीजीटी शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरण करने का था. पूछने पर पता चला कि गठबंधन द्वारा 3 जुलाई को विधायक दल की एक बैठक बुलाई गई है, तब तक आप सीएम के तौर पर किसी कार्यक्रम में नहीं जा सकते.” 

चंपाई सोरेन ने लिखा है-“क्या लोकतंत्र में इस से अपमानजनक कुछ हो सकता है कि एक मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को कोई अन्य व्यक्ति रद्द करवा दे? अपमान का यह कड़वा घूंट पीने के बावजूद मैंने कहा कि नियुक्ति पत्र वितरण सुबह है, जबकि दोपहर में विधायक दल की बैठक होगी, तो वहां से होते हुए मैं उसमें शामिल हो जाऊंगा. लेकिन, उधर से साफ इंकार कर दिया गया.” चंपाई सोरेन ने लिखा है कि पिछले चार दशकों के अपने बेदाग राजनैतिक सफर में, मैं पहली बार, भीतर से टूट गया. समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं। दो दिन तक, चुपचाप बैठ कर आत्म-मंथन करता रहा, पूरे घटनाक्रम में अपनी गलती तलाशता रहा. सत्ता का लोभ रत्ती भर भी नहीं था, लेकिन आत्म-सम्मान पर लगी इस चोट को मैं किसे दिखाता? अपनों द्वारा दिए गए दर्द को कहां जाहिर करता?

चंपाई सोरेन ने कहा है कि इतने अपमान एवं तिरस्कार के बाद मैं वैकल्पिक राह तलाशने हेतु मजबूर हो गया.  मैंने भारी मन से विधायक दल की उसी बैठक में कहा कि - "आज से मेरे जीवन का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है." इसमें मेरे पास तीन विकल्प थे. पहला, राजनीति से सन्यास लेना, दूसरा, अपना अलग संगठन खड़ा करना और तीसरा, इस राह में अगर कोई साथी मिले, तो उसके साथ आगे का सफर तय करना. उस दिन से लेकर आज तक, तथा आगामी झारखंड विधानसभा चुनावों तक, इस सफर में मेरे लिए सभी विकल्प खुले हुए हैं.

REPORT - DESWA NEWS