भोजपुर में गंगा के कटाव में फंसे सांसद पप्पू यादव, बाल-बाल बचे; कहा-.....इन्हें गंगा जी में इनके घर के साथ धकेल दीजिए

भोजपुर जिले के शाहपुर प्रखंड स्थित जवईनिया गांव में गंगा नदी के तेज कटाव और उफान ने भारी तबाही मचानी शुरू कर दी है। इसी हालात का जायजा लेने पहुंचे पूर्णिया सांसद पप्पू यादव खुद एक बड़े हादसे का शिकार होते-होते बच गए।पप्पू यादव जब कटावग्रस्त इलाके में निरीक्षण कर रहे थे, उसी वक्त उनके सामने एक मकान गंगा में समा गया। वे उसी दृश्य को देख रहे थे कि अचानक उनके पैरों के नीचे की ज़मीन भी दरकने लगी। कुछ ही सेकंड में वो स्थान भी गंगा में समाने लगा। मौके पर मौजूद लोगों ने तत्काल उन्हें पकड़कर तेजी से खींचा.....

भोजपुर  में गंगा के कटाव में फंसे सांसद पप्पू यादव, बाल-बाल बचे; कहा-.....इन्हें  गंगा जी में इनके घर के साथ धकेल दीजिए

भोजपुर जिले के शाहपुर प्रखंड स्थित जवईनिया गांव में गंगा नदी के तेज कटाव और उफान ने भारी तबाही मचानी शुरू कर दी है। इसी हालात का जायजा लेने पहुंचे पूर्णिया सांसद पप्पू यादव खुद एक बड़े हादसे का शिकार होते-होते बच गए।पप्पू यादव जब कटावग्रस्त इलाके में निरीक्षण कर रहे थे, उसी वक्त उनके सामने एक मकान गंगा में समा गया। वे उसी दृश्य को देख रहे थे कि अचानक उनके पैरों के नीचे की ज़मीन भी दरकने लगी। कुछ ही सेकंड में वो स्थान भी गंगा में समाने लगा। मौके पर मौजूद लोगों ने तत्काल उन्हें पकड़कर तेजी से खींचा और सुरक्षित जगह पर ले गए। 

इन्हें गंगा जी में इनके घर के साथ धकेल दीजिए"
यह पूरी घटना उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर भी साझा की है।उन्होंने लिखा हैं-"मेरे सामने पूरा का पूरा घर विलीन हो रहा है गांव के लोग, हमारे साथी, मीडिया के बंधु बाल-बाल बचे हैं, शर्म करो बिहार सरकार!आरा भोजपुर का जवनिया गांव पूरा गंगाजी में विलीन हो रहा है, सरकार घोड़ा बेच सोई हुई है क्या यह सब इस देश के नागरिक नहीं हैं आपदा पीड़ित हैं सरकार के संसाधन पर इनका हक नहीं है क्या?तब इनका वोटर लिस्ट से नाम क्यों काटना इन्हें गंगा जी में इनके घर के साथ धकेल दीजिए"

पलायन, और खुद के घर की ईंटें उखाड़ते लोग
बता दें कि गंगा के बढ़ते जलस्तर और धार की गति ने जवईनिया गांव के लोगों की ज़िंदगी को दहशत में डाल दिया है। महज़ तीन दिनों में 25 से अधिक परिवारों के घर नदी में समा चुके हैं। लोग लाचार होकर अपने आशियानों को नदी की लहरों में टूटता-बहता देख रहे हैं।स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि लोग अपने घर छोड़कर सुरक्षित ठिकानों की ओर पलायन कर रहे हैं। कुछ परिवार तो अपने घर की ईंटें तक उखाड़कर ले जा रहे हैं, ताकि कहीं और घर बनाने पर उन्हें ईंटें न खरीदनी पड़ें।बता दें कि  यह दृश्य केवल आर्थिक विवशता नहीं, बल्कि राज्य की बाढ़ प्रबंधन की विफलता को भी उजागर करता है।

पिछले साल भी आई थी बाढ़
गौरतलब है कि जुलाई 2024 में भी इस क्षेत्र ने बाढ़ की मार झेली थी। लोग उस समय के भयावह मंजर को अभी भूल भी नहीं पाए थे कि गंगा की धार एक बार फिर विनाशक रूप में सामने आ गई है। स्थानीय लोगों की मानें तो प्रशासनिक मदद न के बराबर है। न राहत शिविर हैं, न पुनर्वास की तैयारी। लोग अपनी जान और जीवन खुद ही बचाने को मजबूर हैं।