रोहतास:निगरानी विभाग ने घूसखोरी के मामले में गिरफ्तार विनोद कुमार को छोड़ा, कांड में आया नया मोड़
रोहतास के बिक्रमगंज अनुमंडल कार्यालय में पदस्थापित परिचारी विनोद कुमार को बीते मंगलवार (16 सितंबर) को रिश्वत लेने के आरोप में निगरानी विभाग ने गिरफ्तार किया था। हालांकि, अब इस मामले में एक नया मोड़ आया है। कार्यालय से प्राप्त सीसीटीवी फुटेज के आधार पर विनोद कुमार को निगरानी की टीम ने छोड़ दिया।बिक्रमगंज के धनगांई गांव निवासी राकेश कुमार ने विनोद कुमार पर आरोप लगाया था कि वह जमीन विवाद को निपटाने के लिए एक लाख 60 हजार रुपये रिश्वत मांग रहे थे। शिकायत के बाद निगरानी ..........
                                रोहतास के बिक्रमगंज अनुमंडल कार्यालय में पदस्थापित परिचारी विनोद कुमार को बीते मंगलवार (16 सितंबर) को रिश्वत लेने के आरोप में निगरानी विभाग ने गिरफ्तार किया था। हालांकि, अब इस मामले में एक नया मोड़ आया है। कार्यालय से प्राप्त सीसीटीवी फुटेज के आधार पर विनोद कुमार को निगरानी की टीम ने छोड़ दिया।बिक्रमगंज के धनगांई गांव निवासी राकेश कुमार ने विनोद कुमार पर आरोप लगाया था कि वह जमीन विवाद को निपटाने के लिए एक लाख 60 हजार रुपये रिश्वत मांग रहे थे। शिकायत के बाद निगरानी टीम ने मंगलवार की देर शाम विनोद कुमार को गिरफ्तार किया।
सीसीटीवी फुटेज का खुलासा
लेकिन जो सीसीटीवी फुटेज सामने आया है उस सीसीटीवी फुटेज में साफ देखा जा सकता है कि विनोद कुमार अपने टेबल पर काम कर रहे थे, तभी दो लोग पीछे से रुपयों से भरा लिफाफा उनकी कुर्सी के पास रखकर चले जाते हैं। फुटेज में यह भी स्पष्ट है कि विनोद कुमार ने लिफाफा न तो छुआ और न ही पीछे मुड़कर देखा। कुछ सेकंड बाद निगरानी टीम पहुंची और उन्हें गिरफ्तार कर लिया।निगरानी विभाग ने प्रेस बयान में कहा कि गिरफ्तारी के दौरान हाथों की केमिकल टेस्टिंग नहीं की गई। रिश्वत की रकम विनोद कुमार की कुर्सी के पीछे से बरामद हुई थी, लेकिन उन्होंने उसे छुआ तक नहीं था। विभाग ने यह भी माना कि मामला परिवादी और अभियुक्त के बीच जमीन विवाद से जुड़ा है।
विवाद और कार्यशैली पर सवाल
दूसरी ओर इस पूरे प्रकरण ने निगरानी विभाग की कार्यशैली को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल उठता है कि जब आरोपी निर्दोष पाया गया, तो बिना पुख्ता साक्ष्य के गिरफ्तारी कर उनकी प्रतिष्ठा को ठेस क्यों पहुंचाई गई? विनोद कुमार ने कहा,"निगरानी की टीम आई और मेरे हाथ पकड़ लिए। मुझे पता भी नहीं था कि वे निगरानी के लोग हैं। मुझे जबरदस्ती फंसाया गया है। मैंने पैसा नहीं लिया था।"संक्षेप में कहें तो, रोहतास का यह मामला हमें यही सिखाता है – कभी-कभी सीसीटीवी ही सबसे निष्पक्ष जज बन जाती है।            
यह भी पढ़ें ------ https://deswanews.com/Big-action-by-vigilance-against-corruption-in-Bihar,-employees-arrested-red-handed-while-taking-bribe,-deal-was-done-for-Rs.-1.6-lakh








                    
                
                    
                
                    
                
                    
                
                    
                
                    
                
                    
                




