सायन कुणाल की मांग पर सम्राट चौधरी का समर्थन, सब-वे नामकरण की पहल, डिप्टी सीएम CM नीतीश से करेंगे बात

पटना जंक्शन स्थित अंडरग्राउंड सब-वे को प्रख्यात समाजसेवी और महावीर मंदिर न्यास के पूर्व सचिव आचार्य किशोर कुणाल के नाम पर रखने की दिशा में पहल शुरू हो गई है। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने स्पष्ट किया है कि वे इस प्रस्ताव को अपने स्तर से आगे बढ़ाएंगे और मुख्यमंत्री से भी इस संबंध में सकारात्मक बातचीत करेंगे।यह घोषणा उन्होंने आचार्य किशोर....

सायन कुणाल की मांग पर सम्राट चौधरी का समर्थन, सब-वे नामकरण की पहल, डिप्टी सीएम CM नीतीश से करेंगे बात

पटना जंक्शन स्थित अंडरग्राउंड सब-वे को प्रख्यात समाजसेवी और महावीर मंदिर न्यास के पूर्व सचिव आचार्य किशोर कुणाल के नाम पर रखने की दिशा में पहल शुरू हो गई है। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने स्पष्ट किया है कि वे इस प्रस्ताव को अपने स्तर से आगे बढ़ाएंगे और मुख्यमंत्री से भी इस संबंध में सकारात्मक बातचीत करेंगे।यह घोषणा उन्होंने आचार्य किशोर कुणाल की पहली पुण्यतिथि के अवसर पर ज्ञान भवन में आयोजित श्रद्धांजलि सभा के दौरान की।

महावीर मंदिर से जुड़ा सब-वे, सेवा भाव को मिलेगा सम्मान
बता दें कि श्रद्धांजलि सभा में आचार्य किशोर कुणाल के पुत्र और महावीर मंदिर न्यास के सचिव सायण कुणाल ने मांग रखते हुए कहा कि पटना का पहला अंडरग्राउंड सब-वे, जो सीधे महावीर मंदिर से जुड़ा है, उनके पिता के नाम पर होना चाहिए। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि आचार्य किशोर कुणाल का संपूर्ण जीवन सेवा, करुणा और मानवता को समर्पित रहा है।

धर्म को पूजा से निकालकर समाज सेवा से जोड़ा
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि आचार्य किशोर कुणाल ने धर्म को केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे जनकल्याण का माध्यम बनाया। मंदिरों में मिलने वाले प्रसाद और दान की राशि से उन्होंने महावीर कैंसर अस्पताल, महावीर वात्सल्य सहित कुल नौ अस्पतालों की स्थापना कर हजारों जरूरतमंद मरीजों को राहत और जीवनदान दिया।उन्होंने कहा कि आचार्य किशोर कुणाल का कार्य अन्य मठों और मंदिरों के लिए भी प्रेरणास्रोत है।

बेटे की भावुक बातें, विचारों की झलक
वहीं कार्यक्रम के दौरान सायण कुणाल भावुक हो गए। उन्होंने अपने पिता के विचार साझा करते हुए कहा कि वे अक्सर कहा करते थे—“न मुझे राज्य चाहिए, न स्वर्ग और न ही मोक्ष, गरीबों की सेवा ही मेरी सबसे बड़ी साधना है।”उन्होंने राजेश खन्ना का प्रसिद्ध संवाद दोहराते हुए कहा—“बाबू मोशाय, जिंदगी लंबी नहीं, बड़ी होनी चाहिए।”श्रद्धांजलि सभा के दौरान समाज सेवा और पारिवारिक जिम्मेदारी निभाने वालों को सम्मानित करने की परंपरा को भी आगे बढ़ाया गया। विपरीत परिस्थितियों में माता-पिता की निस्वार्थ सेवा करने वाले सात लोगों को श्रवण कुमार पुरस्कार प्रदान किया गया।