दरभंगा घटना के विरोध में सूजा गांव की पहल, कामा माई मंदिर PM मोदी की मां के नाम
बेगूसराय के सूजा गांव में एक अनोखी पहल की गई है। यहां मुसहर समाज की आराध्य देवी कामा माई का मंदिर अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन के नाम से जाना जाएगा। ग्रामीणों ने सामूहिक चंदा और सामुदायिक प्रयास से मंदिर का निर्माण कराया है। इस मंदिर का उद्देश्य केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सम्मान, सामाजिक चेतना और प्रायश्चित का प्रतीक भी ...........

बेगूसराय के सूजा गांव में एक अनोखी पहल की गई है। यहां मुसहर समाज की आराध्य देवी कामा माई का मंदिर अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन के नाम से जाना जाएगा। ग्रामीणों ने सामूहिक चंदा और सामुदायिक प्रयास से मंदिर का निर्माण कराया है। इस मंदिर का उद्देश्य केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सम्मान, सामाजिक चेतना और प्रायश्चित का प्रतीक भी बनेगा।
दरभंगा घटना से जुड़ा है संदर्भ
ग्रामीणों का कहना है कि इस कदम के पीछे कारण हाल ही में दरभंगा में हुई एक रैली है। अगस्त महीने में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की मौजूदगी वाली रैली में प्रधानमंत्री मोदी की मां के लिए आपत्तिजनक शब्द कहे गए थे। इस घटना से बिहार की छवि धूमिल हुई और पूरे देश में आलोचना हुई। कई जगहों पर विरोध-प्रदर्शन और बिहार बंद भी हुआ था। सूजा गांव के युवाओं का कहना है कि इस अपमान को वे बिहारी होने के नाते खुद महसूस कर रहे थे। इसी कारण उन्होंने कामा माई मंदिर का नाम बदलकर हीराबेन मंदिर रखने का निर्णय लिया।
सांसद राकेश सिन्हा का सुझाव
जानकारी के लिए बता दें कि सूजा गांव को राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया है। उन्होंने ही ग्रामीणों को यह सुझाव दिया कि मंदिर का नाम हीराबेन के नाम पर रखा जाए। ग्रामीणों ने इस प्रस्ताव को तुरंत स्वीकार कर लिया। राकेश सिन्हा ने कहा-"प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माता जी को गाली दी गई, यह गाली भारत की सभी माताओं को दी गई है। इस भवन और मंदिर को हीराबेन के नाम समर्पित करके हमने उस अपमान का जवाब दिया है।"
कामा माई का महत्व
कामा माई मुसहर समाज की आराध्य देवी और शबरी माता की प्रतीक मानी जाती हैं। गांव के बुजुर्गों का कहना है कि शादी, मुंडन या किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत उनकी पूजा से ही होती है। सदियों से यहां पिंडी के रूप में कामा माई की पूजा होती आ रही है।ग्रामीणों ने बताया कि मंदिर का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। वे चाहते हैं कि इस मंदिर का उद्घाटन बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान करें। तारीख की घोषणा अभी बाकी है। गांव के लोगों का मानना है कि उद्घाटन का दिन उनके लिए ऐतिहासिक होगा।बता दें कि कामा माई कहां से आई, उनका अवतरण कैसे हुआ, इसकी जानकारी नहीं है लेकिन हमारे पूर्वज कहते थे कि यह सबरी माता की प्रतीक हैं।