बिहार राजनीति 2025: सौरभ पांडे की राजनीति से दूरी, अरुण भारती ने संभाली कमान
बिहार की राजनीति में जिन नामों ने पर्दे के पीछे रहकर गहरी छाप छोड़ी, उनमें सौरभ पांडे का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं। रामविलास पासवान के करीबी और चिराग पासवान के रणनीतिकार माने जाने वाले सौरभ पांडे को एक दौर में चिराग के चाणक्य कहा जाता था।वर्ष 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान को अकेले चुनाव लड़ने की रणनीति देने वाले व्यक्ति के रूप में उनकी भूमिका निर्णायक रही। उन्होंने न सिर्फ पूरे बिहार में संगठनात्मक....

बिहार की राजनीति में जिन नामों ने पर्दे के पीछे रहकर गहरी छाप छोड़ी, उनमें सौरभ पांडे का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं। रामविलास पासवान के करीबी और चिराग पासवान के रणनीतिकार माने जाने वाले सौरभ पांडे को एक दौर में चिराग के चाणक्य कहा जाता था।वर्ष 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान को अकेले चुनाव लड़ने की रणनीति देने वाले व्यक्ति के रूप में उनकी भूमिका निर्णायक रही। उन्होंने न सिर्फ पूरे बिहार में संगठनात्मक नेटवर्क खड़ा किया, बल्कि पार्टी को एक स्पष्ट विजन और पहचान भी दी।
2020 की 'सोलो स्ट्रैटेजी' बनी गेमचेंजर
2020 में जब चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया, तो यह कदम नीतीश कुमार के लिए बड़ा झटका साबित हुआ। एलजेपी की रणनीति से जेडीयू को भारी नुकसान हुआ, और कहा जाता है कि यह फैसला सौरभ पांडे की दूरदृष्टि का परिणाम था।उन्होंने ही "बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट" जैसा लोकप्रिय विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया, जो आज भी पार्टी की पहचान बना हुआ है।2024 के लोकसभा चुनाव में भी सौरभ पांडे की रणनीतिक भूमिका सामने आई। वैकल्पिक गठबंधन की चर्चा और बीजेपी द्वारा एलजेपी को दी गई 5 सीटें उसी पृष्ठभूमि का हिस्सा मानी गईं।
नई टीम, नया नेतृत्व
लेकिन 2025 के विधानसभा चुनाव में उनकी सक्रियता न के बराबर है। इस बार गठबंधन और उम्मीदवारों को टिकट वितरण में उनकी कोई भागीदारी नहीं दिख रही है। इस बार पार्टी की रणनीति की कमान अरुण भारती के हाथों में है, जो 2020 में रामविलास पासवान के निधन के बाद राजनीति में आए। 2025 के चुनाव में उन्होंने 29 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, और पूरी टिकट वितरण प्रक्रिया उन्होंने ही संभाली है।बता दें कि , सौरभ पांडे और चिराग पासवान के संबंध अभी भी व्यक्तिगत तौर पर अच्छे हैं, लेकिन अब दोनों राजनीतिक रूप से दूरी बनाए हुए हैं। सौरभ फिलहाल होटल और कंस्ट्रक्शन बिजनेस में व्यस्त हैं और पार्टी की रणनीति से अलग नजर आ रहे हैं।