अंतिम यात्रा पर किशोर कुणाल, कुछ ऐसे थे आचार्य किशोर कुणाल

अंतिम यात्रा पर किशोर कुणाल, कुछ ऐसे थे आचार्य किशोर कुणाल

PATNA : महावीर मंदिर न्यास के सचिव और अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के संस्थापक आचार्य किशोर कुणाल का रविवार सुबह निधन हो गया. उनके जाने के बाद सब रोये. क्या हिन्दू क्या मुसलमान और क्या अगड़ा क्या पिछड़ा. बेटा ही नहीं बहु भी फूट फूटकर रोये. कुछ ऐसी ही शख्सियत के थे आचार्य किशोर कुणाल. जिन्होंने अपनी जिंदगी समाजसेवा के नाम नाम कर दी. राजनीति के बड़े-बड़े ऑफर आए लेकिन रामभक्ति में जिंदगी को समर्पित कर दिया. उस किशोर कुणाल के पार्थिव शरीर को जब पटना के हनुमान मंदिर में रखा गया तो वहां मौजूद हर शख्स अपने आंसुओं को रोक नहीं पाया. मानों, महावीर मंदिर में आंसुओं का सैलाब सा आ गया.

 

इस महात्मा का आज अंतिम दर्शन करने के लिए किसी भी जाति और कोई भी धर्म के लोग अपने आप को नहीं रोक पाए. हर कोई उनके इस अंतिम विदाई में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के जिद में था. पूरा पटना हनुमान मंदिर परिसर आज सभी धर्म और जातियों से ऊपर उठ चुका था. क्योंकि आज उसके प्रांगण में उसका लाल एक ऐसी नींद में सोया था जो कभी नहीं जागेगा. यह हृदय विदारक दृश्य देखकर हर कोई गमगीन था.

 

आज के सामाजिक परिवेश में कौन बहु अपने ससुर के जाने के बाद बेटी की तरह रोती है. लेकिन ये सांसद बहु अपने ससुर के जाने के बाद अपनी भावनाओं को रोक नहीं पा रही है. क्योंकि अपने बेटे और बहु के लिए किशोर कुणाल ने जाती की दीवार तोड़ दी और ससुर से पापा बन गए. कौन मंत्री समधी बच्चों की तरह रोता है. क्योंकि ये समधी कहां ये तो पिता के सामान थे. बेटा सायन अभी तक ये नहीं समझ पा रहा है कि आखिर अच्छे लोग ही अचानक से क्यों चले जाते है?.

आचार्य किशोर कुणाल ने राम मंदिर के लिए लंबी लड़ाई लड़ी. हर धर्म और हर वर्ग में आचार्य किशोर कुणाल की अहमियत रही. क्योंकि उन्होंने सबसे बड़े धर्म को ऊपर रखा और वह था इंसानियत और सेवा का धर्म. महावीर कैंसर संस्थान जहां हर वर्ग और गरीब तबकों के लिए इलाज की सुविधा थी और मदद का प्रावधान था. इसलिए तो कहा 'कुछ ऐसे थे आचार्य किशोर कुणाल'.