ममता की शर्मनाक चोट: भीलवाड़ा में मासूम नवजात के साथ अमानवीय कृत्य,नन्हे मुंह में पत्थर ठूंसे, होंठ फेवीक्विक से चिपकाया

कहा जाता है, पुत्र भले ही कपूत हो जाए, लेकिन माता कुमाता नहीं होती लेकिन राजस्थान के भीलवाड़ा से सामने आया एक ऐसा मामला, जिसने हर किसी को झकझोर के रख दिया है और सोचने मजबूर कर दिया है कि क्या मां ऐसी होती है। दरअसल बिजौलिया क्षेत्र के जंगल में, सीता का कुंड मंदिर के पास, 10 से 20 दिन का एक मासूम नवजात बच्चा तड़प रहा था। उसके नन्हे मुंह में पत्थर ठूंसे गए थे और फेवीक्विक से उस नवजात के होंठ चिपकाई गई थी। मानो किसी ने उसकी मासूमियत और सीसकियों को .....

ममता की शर्मनाक चोट: भीलवाड़ा में मासूम नवजात के साथ अमानवीय कृत्य,नन्हे मुंह में पत्थर ठूंसे, होंठ फेवीक्विक से चिपकाया

कहा जाता है, पुत्र भले ही कपूत हो जाए, लेकिन माता कुमाता नहीं होती लेकिन राजस्थान के भीलवाड़ा से सामने आया एक ऐसा मामला, जिसने हर किसी को झकझोर के रख दिया है और सोचने मजबूर कर दिया है कि क्या मां ऐसी होती है। दरअसल बिजौलिया क्षेत्र के जंगल में, सीता का कुंड मंदिर के पास, 10 से 20 दिन का एक मासूम नवजात बच्चा तड़प रहा था। उसके नन्हे मुंह में पत्थर ठूंसे गए थे और फेवीक्विक से उस नवजात के होंठ चिपकाई गई थी। मानो किसी ने उसकी मासूमियत और सीसकियों को हमेशा के लिए दबाने का संकल्प ले लिया हो। इस अमानवीय कृत्य ने न केवल स्थानीय लोगों बल्कि पूरे समाज को सदमा दिया है।

 इंसानियत अभी भी जीवित
लेकिन इंसानियत अभी भी जीवित है। जंगल में चरवाहों ने जैसे फरिश्ते बनकर इस मासूम को बचाया। तुरंत पुलिस को सूचना दी गई और बच्चे को अस्पताल पहुंचाया गया। डॉ. मुकेश धाकड़ ने बताया कि बच्चा बेहद कमजोर स्थिति में था। फेवीक्विक और गर्मी के कारण उसका शरीर बुरी तरह झुलस चुका था। हालांकि प्राथमिक इलाज के बाद अब उसकी स्थिति स्थिर है।"

स्थानीय लोगों में आक्रोश
हालांकि अभी तक ये खुलासा नहीं हुआ है कि आखिर इस बच्चे को इस जंगल में कौन छोड़कर गया है। घटना को लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश देखा गया।वहीं पुलिस अपनी तफ्तीश में जुट गई है। सूचना भीलवाड़ा चाइल्ड वेलफेयर टीम को दे दी गई है। जिस पर विनोद राव मौके पर पहुंचे और बच्चे को तत्काल भीलवाड़ा महात्मा गांधी चिकित्सालय के शिशु वार्ड के आयशु वार्ड में रखा गया है जहां पर बच्चे का इलाज जारी है, बच्चे को आगे की देखभाल के लिए पालना घर भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।बता दें कि इस दर्दनाक घटना से इलाके में आक्रोश और सदमा है। ग्रामीणों का कहना है कि मासूम पर इस तरह की अमानवीय क्रूरता करने वाले दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।पुलिस ने अज्ञात महिला की तलाश शुरू कर दी है।

दरअसल भीलवाड़ा में जो घटना हुई, वह सिर्फ क्रूर नहीं बल्कि मानवता पर वार है। एक नन्हीं जान, जिसकी मासूमियत किसी की भी ममता को झकझोर दे, उसे पत्थरों और फेवीक्विक के बीच फेंक दिया गया। सोचिए, एक महिला की ममता—जो अपने बच्चे के लिए हर दर्द सह सकती है, हर कठिनाई झेल सकती है लेकिन  इस कलयुगी मां ने अपने ही कलेजे के टुकड़ा को काल के हवाले कर दिया था । बता दें कि  इस अमानवीय कृत्य ने समाज के लिए चेतावनी दे दी है कि हमें अपनी संवेदनाओं और इंसानियत को और मजबूत करना होगा। यह घटना न केवल भीलवाड़ा बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है कि बच्चों की सुरक्षा और मानवता की रक्षा के लिए हमें संवेदनशील और जागरूक रहना होगा।