शारदीय नवरात्र 2025:हस्त नक्षत्र में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानिए माता को कौन-कौन से भोग हैं प्रिय

शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की विशेष पूजा की जाती है। आज का दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ है क्योंकि हस्त नक्षत्र में ब्रह्म योग और द्विपुष्कर योग का संयोग बन रहा है।विशेष रूप से, दोपहर 1:40 से भोर 4:51 तक द्विपुष्कर योग रहेगा और रात 8:23 तक ब्रह्म योग का प्रभाव रहेगा।मां ब्रह्मचारिणी, माता दुर्गा के नव शक्तियों में से दूसरे स्वरूप हैं। ‘ब्रह्म’ का अर्थ तपस्या और ‘चारिणी’ का अर्थ है तप का आचरण करने वाली। माता ब्रह्मचारिणी सरल, शांत और सौम्य हैं और उनकी तप, त्याग और दृढ़ शक्ति के लिए ....

शारदीय नवरात्र 2025:हस्त नक्षत्र में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानिए माता को कौन-कौन से भोग हैं प्रिय

शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की विशेष पूजा की जाती है। आज का दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ है क्योंकि हस्त नक्षत्र में ब्रह्म योग और द्विपुष्कर योग का संयोग बन रहा है।विशेष रूप से, दोपहर 1:40 से भोर 4:51 तक द्विपुष्कर योग रहेगा और रात 8:23 तक ब्रह्म योग का प्रभाव रहेगा।मां ब्रह्मचारिणी, माता दुर्गा के नव शक्तियों में से दूसरे स्वरूप हैं। ‘ब्रह्म’ का अर्थ तपस्या और ‘चारिणी’ का अर्थ है तप का आचरण करने वाली। माता ब्रह्मचारिणी सरल, शांत और सौम्य हैं और उनकी तप, त्याग और दृढ़ शक्ति के लिए जानी जाती हैं।

 दूध से बने व्यंजन भी अति प्रिय
बता दें कि ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप अत्यन्त भव्य है। यह सफेद साड़ी धारण किए हैं। इनके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल रहता है। देवी ब्रह्मचारिणी को चीनी और शक्कर प्रिय है। इसलिए मां को भोग में चीनी, शक्कर और पंचामृत का भोग लगाएं। मां ब्रह्मचारिणी को दूध और दूध से बने व्यंजन भी अति प्रिय हैं। देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में फूल लेकर उनका ध्यान करें और प्रार्थना करें। इसके बाद देवी को पंचामृत स्नान कराएं, फिर अलग-अलग तरह के फूल, अक्षत, कुमकुम, सिंदूर अर्पित करें। देवी को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाएं। इसके अलावा कमल का फूल भी देवी मां को चढ़ाए और फिर प्रार्थना करें।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
इस दिन पूजा शुरू करने से पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।साफ कपड़े पहनकर पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें।मां की प्रतिमा का अभिषेक करें।मां ब्रह्मचारिणी को सफेद या पीले रंग के फूल, जैसे चमेली, गेंदा या गुड़हल आदि चढ़ाएं साथ ही देवी को पंचामृत, मिठाई और फल का भोग लगाएं। उसके बाद मां का ध्यान करते हुए उनके वैदिक मंत्रों का जाप करें। मां ब्रह्मचारिणी की कथा का पाठ करें और अंत में आरती करें। बता दें कि पूजा के दौरान तामसिक चीजों से पूरी तरह परहेज करें।आज के दिन किसी महिला का गलती से भी अपमान न करें।

मां ब्रह्मचारिणी मंत्र
दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

मां ब्रह्मचारिणी आरती

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।