अगुवानी पुल गिरने के बाद कोइलवर पुल को लेकर स्थानीय स्कॉलर ने रेल मंत्री को चिठ्ठी लिखी, 161 वर्ष पुराना है यह लोहे का पुल, कभी भी हो सकता है हादसा

अगुवानी पुल गिरने के बाद कोइलवर पुल को लेकर स्थानीय स्कॉलर ने रेल मंत्री को चिठ्ठी  लिखी, 161 वर्ष पुराना है यह लोहे का पुल, कभी भी हो सकता है हादसा

बिहार में अगुवानी पुल गिरने के बाद कोइलवर पुल को लेकर स्थानीय स्कॉलर ने रेल मंत्री को चिठ्ठी लिख जताई आशंका, 161 वर्ष पुराना है ये लोहे का पुल, कभी भी हो सकता है हादसा

 

खगड़िया में गंगा नदी पर बन रहे निर्माणाधीन अगुवानी पुल गिर गया। इस हादसे के बाद लोग दूसरे जर्जर पुल को लेकर चिंतित हैं। पटना और भोजपुर को जोड़ने वाली 161 साल पुराने कोइलवर पुल की स्थिति भी जर्जर है। इसको लेकर स्थानीय स्कॉलर ने रेल मंत्री को चिट्ठी लिखी है। लिखा- जल्द इसे नहीं बनाया गया तो बिहार में एक बड़ा रेल हादसा हो सकता है।

बता दें कि इसे ब्रिटिश राज में पटना और आरा के बीच सोन नदी पर 1862 में बनाया गया था। कोइलवर के सोन नदी पर बना यह पुल हावड़ा-दिल्ली रूट का महत्वपूर्ण पुल है। हालांकि, पुल पर अब वाहनों के बढ़ते दबाव को देखते हुए इसके समानान्तर दूसरी सड़क पर पुल बनाकर इस पुल का लोड कम कर दिया गया है।

 

 

8 साल पहले भी लिखी थी रेल मंत्री को चिट्ठी

कोइलवर के रहने वाले डॉक्टर गोपाल कृष्ण ने रेल मंत्री अश्विन वैष्णव को आगाह किया है। चिट्ठी में लिखा है कि 161 साल पुराने इस लोहे के पुल को जल्द नहीं बनाया गया तो कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। गोपाल कृष्ण ने आशंका जताई है कि सोन नदी में हो रहे बालू खनन की वजह से पुल के पिलर की स्थिति जर्जर हो चुकी है। यह रेलवे का मुख्य मार्ग है। कई दर्जन ट्रेनें इस रूट पर चलती है। लगातार जर्जर पुल की हालत खराब होती जा रही है। रेलवे यदि इसकी मरम्मती और नए पुल का निर्माण नहीं करवाती है तो कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है।

गोपाल कृष्ण ने इससे पहले 2015 मे जब सुरेश प्रभु रेल मंत्री थे तो चिट्ठी लिखी थी। इसके बाद उन्हें आश्वासन मिला था कि जल्द ही कोइलवर पुल की मरम्मती करा कर आपको सूचना दी जाएगी। लेकिन आठ साल बीतने के बाद भी कोई मरम्मती का काम नहीं हुआ है। महज लोहे के पुल की रंगाई-पुताई करके खानापूर्ति की गई है।

 

सोन नदी पर बना है पुल

भोजपुर जिले के कोइलवर में सोन नदी पर है। इस पुल का नाम बिहार के जाने माने स्वतंत्रता सेनानी प्रोफेसर अब्दुल बारी के नाम पर रखा गया है। इस पुल को लोग अब्दुलबारी पुल से भी जानते हैं।

 

 रिपोर्ट : अमित कुमार पांडेय