BPSC की जंग! कौन है बच्चों के संग?
PATNA : बिहार में BPSC का एक परीक्षा होता है. जो बिहार के छात्रों को उनके सपने को सच में तब्दील करने के लिए एक उड़ान देता है. जिससे छात्र डीएसपी, डिस्टिक मजिस्ट्रेट तक बनते हैं लेकिन आप यह सोच रहे होंगे कि इस बात का जिक्र अभी क्यों कर रहे है? तो आपको बता दे, इस वक्त जो कुछ भी BPSC एग्जाम को लेकर बिहार हो रहा है. उसकी गूंज देश से विदेश तक हो रहा है.
BPSC 70वीं परीक्षा जो बीते, 13 दिसंबर 2024 को हुई थी. लेकिन पटना के एक केंद्र पर धांधली के बाद अभी रीएग्जाम की मांग तक आ अटकी है और इसके लिए छात्र जो नहीं करना चाहिए वह भी कर रहे हैं. जो लड़के बिना खाये सोते नहीं थे. वह आज आमरण अनशन पर है. जो लड़कियां शाम के बाद घर जल्दी जाना है नहीं तो पापा की डांट पड़ेगी. वह आज रात भर सड़कों पर सोने को मजबूर है. वह बच्चा जो कभी एक छड़ी से मार नहीं खाया. वह आज मोटे-मोटे लाठी से पिटाई खा रहा है. जो बच्चे ठंड में दो-दो कंबल में सोये रहते थे. वह आज वाटर कैनन पा रहे हैं.
यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि उन छात्रों को चाहिये रीएग्जाम.. रीएग्जाम..
लेकिन अब बच्चों के बीच कई नेता आये हैं. कई नेता पीछे से निकल गए. कई नेता हाल पूछकर घर को लौट गए. उनमे कुछ नाम भी सुमार है. जैसे - पीके, तेस्जवी और पप्पू यादव. न जाने यह बिहार की राजनीति की कैसी विडंबना है? की एक मुद्दा है और उस मुद्दा को सब कोई भुनाने में लगा है. बिहार में BPSC परीक्षा का नेता बनने का मानों होड़ सा लग गया है. सबको इस मुद्दे से नायक बनना है.
आज पप्पू यादव 12 दिन में दो बार बिहार बंद कर दिए.
आज पीके 18 दिनों से आमरण अनशन पर है.
आज तेजस्वी यात्रा पर हैं और BPSC की बात भी कर रहे हैं.
लेकिन कैसे पूरी होगी इनकी ये मांग? बस जेल जाने से, बिहार बंद करने से या फिर आमरण अनशन से. आखिर कैसे?
बच्चों का आवाज बस बच्चे ही है. यह उन्हें समझना होगा. नेता नेतागिरी करते हैं. यह उनके खून में है. लेकिन यह बच्चे को समझना चाहिए कि तुम कौन हो? कोई तुम्हारा इस्तेमाल न करें? तुम्हारी आड़ में आकर कोई अपनी राजनितिक रोटी ना सेंके. समझों.. उठो.. जाओ.. और खुद के लिए लड़ों.
REPORT - KUMAR DEVANSHU