बिहार विधानसभा चुनाव 2025: मुकेश सहनी ने लिया बड़ा फैसला, खुद नहीं लड़ेंगे चुनाव, कहा-डिप्टी सीएम बनना है लक्ष्य
बिहार की राजनीति में अहम भूमिका निभा रहे विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी ने विधानसभा चुनाव 2025 के बीच बड़ा बयान देकर नया सियासी संकेत दे दिया है। दरभंगा में अपने भाई संतोष सहनी के नामांकन के मौके पर मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने साफ कर दिया कि वे इस बार खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे। उनका पूरा ध्यान महागठबंधन के उम्मीदवारों की जीत पर केंद्रित रहेगा।मुकेश सहनी ने कहा, "हमारा लक्ष्य सिर्फ सीट जीतना नहीं, बल्कि 243...

बिहार की राजनीति में अहम भूमिका निभा रहे विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी ने विधानसभा चुनाव 2025 के बीच बड़ा बयान देकर नया सियासी संकेत दे दिया है। दरभंगा में अपने भाई संतोष सहनी के नामांकन के मौके पर मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने साफ कर दिया कि वे इस बार खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे। उनका पूरा ध्यान महागठबंधन के उम्मीदवारों की जीत पर केंद्रित रहेगा।मुकेश सहनी ने कहा, "हमारा लक्ष्य सिर्फ सीट जीतना नहीं, बल्कि 243 सीटों पर गठबंधन की जीत सुनिश्चित करना है। हम मैदान में रहकर हर प्रत्याशी के लिए काम करेंगे। इस बार बिहार में वीआईपी की भूमिका निर्णायक होगी।"
राज्यसभा नहीं, डिप्टी सीएम की है इच्छा
राजनीतिक महत्वाकांक्षा को लेकर पूछे गए सवाल पर सहनी ने कहा, "मुझे राज्यसभा नहीं चाहिए, मैं मछुआरा समाज और अति पिछड़े वर्ग की आवाज बनकर सरकार में सम्मानजनक भागीदारी चाहता हूं। मेरा लक्ष्य है बिहार का डिप्टी सीएम बनना।"उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनके भाई संतोष सहनी का चुनाव लड़ना कोई व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राजनीतिक जिम्मेदारी का हिस्सा है। उन्होंने कहा, "संतोष जैसे युवा और संघर्षशील नेताओं को आगे लाना हमारी पार्टी की प्राथमिकता है। यह राजनीतिक जिम्मेदारी का हिस्सा है।"
सामाजिक संतुलन और युवा नेतृत्व पर जोर
वीआईपी प्रमुख ने बताया कि टिकट वितरण में सामाजिक संतुलन और युवा नेतृत्व को प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा, "संतोष सहनी जैसे युवा और संघर्षशील नेताओं को मौका देना हमारी पार्टी की सोच है।हम सब मिलकर बिहार के विकास की नई कहानी लिखेंगे।"सहनी ने यह भी ऐलान किया कि वे पूरे बिहार में महागठबंधन के पक्ष में प्रचार यात्रा पर निकलेंगे। पार्टी का लक्ष्य है कि हर प्रत्याशी को मजबूत किया जाए और जनता का भरोसा हासिल किया जा सके।मुकेश सहनी के इस फैसले को एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है, जिससे वे न केवल गठबंधन में अपनी भूमिका मजबूत करना चाहते हैं, बल्कि अति पिछड़े वर्गों के बीच अपनी राजनीतिक पकड़ भी और अधिक गहरी करना चाहते हैं।