राजद में उथल-पुथल! वरिष्ठ नेता विजय कृष्ण ने दिया इस्तीफा, सक्रिय राजनीति से संन्यास का ऐलान

बिहार की राजनीति में बुधवार को बड़ा उथल-पुथल देखने को मिला, जब राज्य के पूर्व मंत्री और 2004 लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार को हराकर सुर्खियां बटोर चुके वरिष्ठ नेता विजय कृष्ण ने राजद की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफ़ा दे दिया। उन्होंने अपना त्यागपत्र राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को भेजते हुए संकेत दिया कि अब वे सक्रिय राजनीति...................

राजद में उथल-पुथल! वरिष्ठ नेता विजय कृष्ण ने दिया इस्तीफा, सक्रिय राजनीति से संन्यास का ऐलान

बिहार की राजनीति में बुधवार को बड़ा उथल-पुथल देखने को मिला, जब राज्य के पूर्व मंत्री और 2004 लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार को हराकर सुर्खियां बटोर चुके वरिष्ठ नेता विजय कृष्ण ने राजद की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफ़ा दे दिया। उन्होंने अपना त्यागपत्र राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को भेजते हुए संकेत दिया कि अब वे सक्रिय राजनीति से पूर्ण विराम लगाने जा रहे हैं।

लालू–तेजस्वी नेतृत्व के लिए एक बड़ा धक्का
अपने पत्र में विजय कृष्ण ने लिखा मैंने दलगत राजनीति, सक्रिय राजनीति से अलग हो जाने का निर्णय लिया है। अतः राष्ट्रीय जनता दल के प्राथमिक सदस्यता एवं सभी पदों से इस्तीफा दे रहा हूँ। कृप्या स्वीकार करें।बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद लगातार नेताओं के पार्टी छोड़ने से पहले ही राजद दबाव में था। ऐसे माहौल में विजय कृष्ण जैसे पुराने, मजबूत और प्रभावशाली चेहरे का पार्टी से हटना लालू–तेजस्वी नेतृत्व के लिए एक बड़ा धक्का माना जा रहा है।

विजय कृष्ण की राजनीतिक यात्रा
विजय कृष्ण की गिनती राजद के पुराने और प्रभावशाली नेताओं में होती रही है। वे 2004 के लोकसभा चुनाव में बाढ़ संसदीय क्षेत्र से जदयू के दिग्गज नेता नीतीश कुमार को हराकर सांसद बने थे। लंबे समय से वे राजद की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाते रहे, लेकिन अब पार्टी नेतृत्व से नाराज़ होकर उन्होंने अलग राह पकड़ ली है।जानकारी के लिए बता दें कि विजय कृष्ण की पूरी राजनीतिक यात्रा नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव की राजनीति के इर्द‑गिर्द घूमती रही है। 

नीतीश कुमार के भरोसेमंद सहयोगी
1990 दशक में वे नीतीश कुमार के भरोसेमंद सहयोगी थे।बाद में नीतीश की समता पार्टी बनने के साथ दोनों की राहें अलग हो गईं।बाढ़ लोकसभा क्षेत्र को उन्होंने अपनी राजनीतिक आधारभूमि बनाया।1996, 1998 और 1999 के चुनावों में नीतीश से लगातार हार मिली।2004 में उन्होंने इतिहास रचते हुए तत्कालीन रेलमंत्री नीतीश कुमार को 37,000 से अधिक वोटों से मात दी और पहली बार लोकसभा पहुंचे।

सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया
आगे चलकर विजय कृष्ण बार‑बार पार्टी बदलते भी रहे। वो 2009 में कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का आरोप लगाकर राजद छोड़कर जदयू में चले गए, तो 2010 में नीतीश कुमार पर झूठे वादों के आरोप लगाते हुए फिर राजद में लौट आए। बिहार सरकार में मंत्री रह चुके विजय कृष्ण पर 2009 में जदयू नेता सत्येंद्र सिंह की हत्या के मामले में उनके बेटे के साथ उनपर भी मुकदमा चला और 2013 में निचली अदालत ने उम्रकैद की सज़ा सुनाई, लेकिन मई 2022 में पटना हाई कोर्ट ने सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया।