कैग रिपोर्ट से हड़कंप: बिहार के 70 हजार करोड़ रुपये का हिसाब नहीं, नीतीश सरकार ने लिया बड़ा फैसला, 3 विभागों पर गिरी गाज
कैग (CAG) की ताजा रिपोर्ट ने बिहार सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के कई विभागों ने ₹70,877.61 करोड़ रुपये की राशि का अब तक उपयोगिता प्रमाणपत्र (यूसी) नहीं दिया है। इस खुलासे के बाद वित्त विभाग ने कड़ा रुख अपनाते हुए तीन बड़े विभागों की निकासी पर आंशिक रोक लगा दी है। वित्त विभाग ने पंचायती राज, नगर विकास और शिक्षा विभाग पर बड़ा एक्शन लिया है। बता दें कि सबसे अधिक पंचायती राज विभाग पर बकाया है। वित्त विभाग ने साफ कर दिया है कि जब तक ये तीनों विभाग...

कैग (CAG) की ताजा रिपोर्ट ने बिहार सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के कई विभागों ने ₹70,877.61 करोड़ रुपये की राशि का अब तक उपयोगिता प्रमाणपत्र (यूसी) नहीं दिया है। इस खुलासे के बाद वित्त विभाग ने कड़ा रुख अपनाते हुए तीन बड़े विभागों की निकासी पर आंशिक रोक लगा दी है। वित्त विभाग ने पंचायती राज, नगर विकास और शिक्षा विभाग पर बड़ा एक्शन लिया है। बता दें कि सबसे अधिक पंचायती राज विभाग पर बकाया है। वित्त विभाग ने साफ कर दिया है कि जब तक ये तीनों विभाग पिछला हिसाब नहीं दे देते ये आगे धन निकासी नहीं कर सकेंगे।
कैग की रिपोर्ट ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं
मालूम हो कि, बिहार सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 तक 70,877.61 करोड़ रुपये के उपयोगिता प्रमाण-पत्र (यूसी) और 9,205.76 करोड़ रुपये के आकस्मिक व्यय (एसी बिल) के बदले कोई विस्तृत लेखा (डीसी बिल) प्रस्तुत नहीं किया गया है। वहीं इस अनियमितता को गंभीरता से लेते हुए राज्य वित्त विभाग ने संबंधित विभागों को निर्देश दिया है कि वे इन राशि का विस्तृत हिसाब बिहार के महालेखाकार कार्यालय को शीघ्र उपलब्ध कराएं। साथ ही पंचायती राज, नगर विकास व आवास और शिक्षा विभाग की निकासी पर आंशिक रोक लगा दी गई है।
तेजस्वी यादव का आरोप – '70 हजार करोड़ का घोटाला'
वित्त विभाग ने स्पष्ट किया है कि जब तक पिछली निकासी का पूरा लेखा-जोखा जमा नहीं किया जाता तब तक इन विभागों को कोषागार या बैंक खातों से कोई नई निकासी करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। फिलहाल सबसे ज्यादा बकाया पंचायती राज, शिक्षा और नगर विकास विभाग पर है।वित्त विभाग ने बताया कि हर वित्तीय वर्ष में एसी और सहायक अनुदान विपत्रों पर निकासी के बाद उनका समायोजन 18 माह के भीतर अनिवार्य होता है। तय समय में लेखा नहीं देने पर वित्त विभाग को हस्तक्षेप करना पड़ता है। बता दें कि इस मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सरकार पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया और पोस्टरों के माध्यम से इसे "70 हजार करोड़ का घोटाला" करार दिया है।विपक्ष का आरोप है कि सरकार जनता के पैसों का दुरुपयोग कर रही है और जवाबदेही से बच रही है।