शराब तस्करी में पकड़ा गया नाबालिग, कोर्ट ने जेल की बजाय ट्रैफिक पुलिस की निगरानी में सामुदायिक सेवा करने का दिया आदेश

बिहार के गोपालगंज जिले से एक अनोखा और प्रेरक मामला सामने आया है।जिसने सभी का ध्यान खींच लिया है। यहां शराब तस्करी में पकड़े गए एक नाबालिग को अदालत ने जेल की बजाय समाज सुधार और सामुदायिक सेवा की सजा सुनाई। दरअसल जनवरी 2025 में जादोपुर थाना पुलिस ने एक नाबालिग लड़के को 81 लीटर देशी शराब के साथ पकड़ा। मामला किशोर न्याय परिषद, गोपालगंज की अदालत में पहुंचा।सुनवाई के दौरान नाबालिग ने अपना अपराध स्वीकार किया और कोर्ट के सामने यह भी कहा कि वह समाज की मुख्यधारा में लौटना चाहता है और भविष्य में..........

शराब तस्करी में पकड़ा गया नाबालिग, कोर्ट ने जेल की बजाय ट्रैफिक पुलिस की निगरानी में सामुदायिक सेवा करने का दिया आदेश

बिहार के गोपालगंज जिले से एक अनोखा और प्रेरक मामला सामने आया है।जिसने सभी का ध्यान खींच लिया है। यहां शराब तस्करी में पकड़े गए एक नाबालिग को अदालत ने जेल की बजाय समाज सुधार और सामुदायिक सेवा की सजा सुनाई। दरअसल जनवरी 2025 में जादोपुर थाना पुलिस ने एक नाबालिग लड़के को 81 लीटर देशी शराब के साथ पकड़ा। मामला किशोर न्याय परिषद, गोपालगंज की अदालत में पहुंचा।सुनवाई के दौरान नाबालिग ने अपना अपराध स्वीकार किया और कोर्ट के सामने यह भी कहा कि वह समाज की मुख्यधारा में लौटना चाहता है और भविष्य में इस तरह की गलती नहीं करेगा।

अदालत का निर्णय
प्रधान दंडाधिकारी निलेश भारद्वाज ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम का उद्देश्य केवल सजा देना नहीं है, बल्कि नाबालिगों को सुधार और मार्गदर्शन के माध्यम से समाज की मुख्यधारा से जोड़ना है।इस सोच के तहत अदालत ने बालक को 30 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस की निगरानी में सामुदायिक सेवा करने का आदेश दिया। इसका उद्देश्य न सिर्फ बालक को अनुशासन सिखाना है, बल्कि उसे समाज के लिए काम करने और योगदान देने की प्रेरणा देना भी है।

अदालत का संदेश
प्रधान दंडाधिकारी ने जिला पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया कि बालक को प्रतिदिन ट्रैफिक पुलिस के साथ रखा जाए।बता दें कि  यह फैसला एक उदाहरण है कि नाबालिगों को सुधारात्मक कदमों और मार्गदर्शन के माध्यम से सही दिशा दी जा सकती है, बजाय केवल कठोर सजा देने के।यह मामला समाज और न्याय व्यवस्था को यह सिखाता है कि नाबालिग अपराधियों के लिए सुधारात्मक उपायों का चयन करना जरूरी है। यह पहल अन्य किशोर न्याय मामलों के लिए भी मिसाल बन सकती है।