बिहार चुनाव से पहले RJD को तगड़ा झटका, वरिष्ठ नेता डॉ. अनिल सहनी ने पार्टी छोड़ी

बिहार चुनाव से ऐन पहले आरजेडी को एक के बाद एक बड़े झटके लग रहे हैं। उम्मीदवारों के नामांकन रद्द होने से लेकर अब वरिष्ठ नेताओं के पार्टी छोड़ने तक। पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व विधायक और पूर्व राज्यसभा .....

बिहार चुनाव से पहले RJD को तगड़ा झटका, वरिष्ठ नेता डॉ. अनिल सहनी ने पार्टी छोड़ी

बिहार चुनाव से ऐन पहले आरजेडी को एक के बाद एक बड़े झटके लग रहे हैं। उम्मीदवारों के नामांकन रद्द होने से लेकर अब वरिष्ठ नेताओं के पार्टी छोड़ने तक पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व विधायक और पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल सहनी ने आरजेडी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मांगनी लाल मंडल को सौंपा।

पार्टी में परिवारवाद और चापलूसी     

बता दें कि डॉ. सहनी को हाल ही में आरजेडी ने स्टार प्रचारक के रूप में सूचीबद्ध किया था, ऐसे में उनका पार्टी से अलग होना चुनावी माहौल में आरजेडी के लिए बड़ा नुकसान माना जा रहा है।इस्तीफे के साथ जारी बयान में डॉ. अनिल सहनी ने पार्टी नेतृत्व पर कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि आरजेडी में अब योग्यता और जनाधार के बजाय परिवारवाद और चापलूसी को तरजीह दी जा रही है।"मैंने पार्टी को मजबूत करने के लिए दिन-रात काम किया, लेकिन आज RJD की जो दिशा है, उसमें आम कार्यकर्ता और खासकर अतिपिछड़ा समाज के लिए कोई जगह नहीं बची है।"

"अतिपिछड़ा वर्ग का हो रहा है निरंतर अपमान"

अनिल सहनी ने कहा कि उन्हें पार्टी ने स्टार प्रचारक बनाया था, लेकिन महागठबंधन के टिकट बंटवारे और संगठनात्मक निर्णयों में अतिपिछड़ों की उपेक्षा की गई है उन्होंने कहा, “राजद जिस दिशा में जा रही है, उसमें आम कार्यकर्ता और खासकर अतिपिछड़ा समाज के लिए अब कोई जगह नहीं बची है

आगे का कदम क्या होगा?

वहीं डॉ. अनिल सहनी का इस्तीफा केवल एक वरिष्ठ नेता का पार्टी छोड़ना नहीं है, बल्कि यह पार्टी के भीतर गहराते वर्गीय असंतुलन और संगठनात्मक असंतोष का संकेत भी माना जा रहा है।वे न केवल एक अनुभवी विधायक रहे हैं, बल्कि राज्यसभा में भी RJD का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। ऐसे में उनके इस्तीफे से पार्टी को छवि और साख दोनों स्तरों पर नुकसान हो सकता है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, डॉ. सहनी पिछले कई महीनों से संगठन से नाराज चल रहे थे और हाल के टिकट वितरण के बाद उनका असंतोष चरम पर पहुंच गया। वहीं अब राजनीतिक हलकों में यह चर्चा तेज़ है कि क्या वे किसी अन्य दल में शामिल होंगे या फिर स्वतंत्र रूप से राजनीति जारी रखेंगे?फिलहाल, इस पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।