बिहार का गौरव है सबसे खास ! क्या हुआ जब बिहारियों को गोबर का कीड़ा कहने वाले के बेटे- पोते को आना पड़ा बिहार ?
पटना डेस्क : बात साल 2008 की है तब शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे जिंदा थे। उन्होंने पार्टी के मुखपत्र 'सामना' के जरिए बिहार के लोगों के खिलाफ जहर उगला था। 'सामना' के संपादकीय लेख में बाल ठाकरे ने बिहारियों को 'गोबर का कीड़ा' कहा था।
उन्होंने बिहारियों के लिए एक संज्ञा दी थी। अपने पत्र में लिखा था कि 'एक बिहारी सौ बीमारी'। साथ ही आरोप लगाया था कि बिहार में भ्रष्टाचार की गंगा बहती है। इस वजह से ही गंगा मैली हो गई है। वहां गरीबी, भूख, बेरोजगारी और जातिवाद के साथ अराजक स्थिति है।
भले ही ये बातें पुरानी हो गई हैं। पर समय-समय पर बाहर आ ही जाती हैं। आज इन बातों की चर्चा करने की एक बड़ी वजह है 'राजनीति'।
शुक्रवार को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पटना में हैं। वो विपक्षी दलों की एकता को लेकर होने जा रही मीटिंग में शामिल होने आए हैं। साथ में उनके बेटे आदित्य ठाकरे और सांसद संजय राउत भी हैं।
उद्धव ठाकरे पहली बार बिहार आए हैं। उन्हें या उनकी पार्टी को अब उत्तर भारतीयों या बिहारियों से कोई परेशानी नहीं है। वो अब सबके साथ मिलकर चलना चाहते हैं। इसी की कवायद में हैं क्योंकि, महाराष्ट्र में उनकी खुद की पार्टी, जिसे उनके पिता बाल ठाकरे ने स्थापित किया था। उसका बंटवारा हो चुका है। इसकी वजह भाजपा है।
भाजपा अब राजनीतिक दुश्मन...विपक्ष में ही 'एकता'
उद्धव ठाकरे भाजपा को अब अपना राजनीतिक दुश्मन मानते हैं। यही कारण है कि वो देश के तमाम विपक्षी दलों की एकता में शामिल हो गए हैं। शिव सेना के बिहार प्रभारी कौशलेंद्र के अनुसार उनकी पार्टी या राष्ट्रीय अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को कभी भी उत्तर भारतीयों या बिहारियों से दिक्कत नहीं थी। अगर ऐसा होता तो संजय निरुपम और प्रियंका चतुर्वेदी को सांसद नहीं बनाते।
रिपोर्ट : कुमार कौशिक / अमित कुमार पाण्डेय