चंपारण की धरती पर विराट रामायण मन्दिर के पहले नींव की खुदाई , आचार्य किशोर कुणाल, जस्टिस एस एन झा समेत हजारों लोग बने साक्षी

चंपारण की धरती पर  विराट रामायण मन्दिर के पहले नींव की खुदाई , आचार्य किशोर कुणाल, जस्टिस एस एन झा समेत हजारों लोग बने साक्षी

पटना डेस्क : ऐतिहासिक चंपारण की धरती पर नये इतिहास की नींव मंगलवार को पड़ गयी। पूर्वी चंपारण के केसरिया के निकट कैथवलिया-बहुआरा में रथयात्रा के दिन विजय मुहूर्त में पूजन के बाद हाइड्रोलिक रिग मशीन से जब विराट रामायण मन्दिर के पहले भूगर्भ खंभे की ड्रिल हुई तो जय श्रीराम के नारे आसमान तक गूंज उठे। इसी के साथ पटना के महावीर मन्दिर द्वारा बन रहे संसार के विशालतम मन्दिर का निर्माण कार्य शुरू हो गया। वर्ष 2012 में मन्दिर का भूमिपूजन हुआ था। कंबोडिया के अंकोरवाट मन्दिर से बड़े बन रहे इस मन्दिर का नाम पहले विराट अंकोरवाट मन्दिर था। कंबोडिया सरकार की आपत्ति और जमीन क्रय में देरी से विलंब हुआ। आखिरकार सभी बाधाओं को पार कर 270 फीट  के सबसे ऊंचे शिखर के साथ 540 फीट चौडे और 1080 फीट लंबे विराट का बनना शुरू हो गया। मन्दिर निर्माण प्रारंभ होने के अवसर पर महावीर मन्दिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल, ट्रस्टी और राजस्थान उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस एन झा, निर्माण कंपनी सनटेक के अधिकारी, जमीन दान करनेवाले मो इश्तियाक खान, निर्माण समिति के ललन सिंह और बड़ी संख्या में ग्रामीण  मौजूद थे।


विराट रामायण मन्दिर में कुल 22 देवालय बनेंगे। आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि एक देवालय गिरिधर गोपाल भगवान कृष्ण का होगा। बाकी के 21 देवालयों में धनुषभंग, विश्वामित्र आश्रम में भाइयों समेत श्रीराम की शिक्षा, अहिल्या उद्धार, शबरी के जूठे बेर, केवट प्रसंग, भरत मिलाप समेत रामायण के विभिन्न प्रसंगों को मूर्त रूप दिया जाएगा। विराट रामायण मन्दिर कैथवलिया-बहुआरा के जिस क्षेत्र में बन रहा है वहां जनकपुर से लौटती राम बारात के दूसरे दिन रूकने की मान्यता है। उस याद को संजोये रखने के लिए 120 एकड़ के परिसर में विवाह घर और धर्मशाला बनेंगे। अयोध्या से जनकपुर तक बन रहे राम जानकी मार्ग पर विराट् रामायण मन्दिर एक महत्वपूर्ण धार्मिक पड़ाव होगा।

 

आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि विराट रामायण मन्दिर तीन मंजिला होगा। मन्दिर में काले ग्रेनाइट की चट्टान से बन रहे विशाल शिवलिंग की स्थापना होगी।  चेन्नई के निकट महाबलिपुरम में 250 टन वजन के ब्लैक ग्रेनाइट पत्थर की चट्टान को तराशकर मुख्य शिवलिंग के साथ सहस्रलिंगम भी बनाया जा रहा है। आठवीं शताब्दी के बाद सहस्रलिंगम का निर्माण भारत में नहीं हुआ है। शिवलिंग का वजन 200 टन, ऊंचाई 33 फीट और गोलाई 33 फीट होगी। यह विशालतम शिवलिंग रामेश्वरम् की याद कराएगा।


आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि  मन्दिर का क्षेत्रफल 3.67 लाख वर्गफुट होगा। इसका सबसे ऊंचा शिखर 270 फीट का होगा। 198 फीट का एक शिखर होगा। जबकि 180 फीट के चार शिखर रहेंगे। 135 फीट का एक शिखर और 108 फीट ऊंचाई के 5 शिखर होंगे। इस प्रकार 180 फीट और उससे ऊंचे 6 शिखरों वाला विराट रामायण मन्दिर दूनिया में अकेला होगा। आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि कंबोडिया के अंकोरवाट मन्दिर का शिखर 220 फीट है। भारत में और भी मन्दिर बन रहे हैं जहां एक शिखर 270 फीट से ऊंचा हो सकता है। लेकिन एक साथ इतने ऊंचे शिखर विराट रामायण मन्दिर में ही देखने को मिलेंगे। विराट रामायण मन्दिर का पाइलिंग कार्य प्रारंभ होने के मौके पर पाइलिंग कराने वाली एजेंसी सनटेक इन्फ्रा के प्रबंध निदेशक गौरव गुप्ता मौजूद थे। उन्होंने बताया कि नवंबर तक सभी 3102 पाइल पूरे कर लिए जाएंगे।  निर्माण एजेंसी के अधिकारी श्रवण कुमार झा ने बताया कि विराट रामायण मन्दिर में पाइलिंग कार्य में 1050 टन स्टील और 15 हजार क्यूबिक मीटर कंक्रीट की खपत होगी। निर्माण में लगनेवाली सामग्रियां महावीर मन्दिर उपलब्ध कराएगा। आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि बगैर अग्रिम भुगतान के एजेंसी कार्य करेगी। कार्य के आधार पर भुगतान किया जाएगा। विराट रामायण मन्दिर पटना से 120 कि.मी. तथा वैशाली से 60 कि.मी. की दूरी पर वर्तमान केसरिया-चकिया पथ पर अवस्थित है। यह मन्दिर चार गाँवों और तीन पंचायतों की सीमा में पड़ता है।

रिपोर्ट : कुमार कौशिक